नई दिल्ली। कनाडाई उप मंत्री डेविड मॉरिसन के स्थानीय समिति के सक्षम केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर लगाए आरोपों पर भारत ने सख्त प्रतिक्रिया दी है. भारत ने कनाडाई उच्चायोग के प्रतिनिधि को तलब कर राजनयिक नोट सौंपा, जिसमें केंद्रीय गृह मंत्री के लिए किए गए बेतुके और निराधार संदर्भों का मजबूत शब्दों में विरोध किया गया है.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने नियमित प्रेस ब्रिफिंग के दौरान बताया कि हमने कल कनाडाई उच्चायोग के प्रतिनिधि को तलब किया था, 29 अक्टूबर, 2024 को ओटावा में सार्वजनिक सुरक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा पर स्थायी समिति की कार्यवाही के संदर्भ में एक राजनयिक नोट सौंपा गया था. नोट में बताया गया कि भारत सरकार उप मंत्री डेविड मॉरिसन द्वारा समिति के समक्ष भारत के केंद्रीय गृह मंत्री के बारे में किए गए बेतुके और निराधार संदर्भों का सबसे कड़े शब्दों में विरोध करती है.
उन्होंने कहा कि वास्तव में यह खुलासा कि उच्च कनाडाई अधिकारी जानबूझकर भारत को बदनाम करने और अन्य देशों को प्रभावित करने की एक रणनीति के तहत अंतरराष्ट्रीय मीडिया को निराधार आरोप लीक करते हैं, केवल उस दृष्टिकोण की पुष्टि करता है जो भारत सरकार ने वर्तमान कनाडाई सरकार के राजनीतिक एजेंडे और व्यवहार पैटर्न के बारे में लंबे समय से रखा है. इस तरह की गैरजिम्मेदाराना हरकतों के द्विपक्षीय संबंधों पर गंभीर परिणाम होंगे.
रणधीर जायसवाल ने कहा कि हमारे कुछ वाणिज्य दूतावास अधिकारियों को हाल ही में कनाडा सरकार द्वारा सूचित किया गया था कि वे ऑडियो और वीडियो निगरानी में हैं और अभी भी हैं. उनके संचार को भी बाधित किया गया है. हमने कनाडा सरकार के समक्ष औपचारिक रूप से विरोध जताया है क्योंकि हम इन कार्यों को प्रासंगिक राजनयिक और वाणिज्य दूतावास सम्मेलनों का घोर उल्लंघन मानते हैं.
उन्होंने कहा कि तकनीकी पहलुओं का हवाला देकर, कनाडा सरकार इस तथ्य को उचित नहीं ठहरा सकती है कि वह उत्पीड़न और धमकी में लिप्त है. हमारे राजनयिक और वाणिज्य दूतावास कर्मी पहले से ही उग्रवाद और हिंसा के माहौल में काम कर रहे हैं. कनाडा सरकार की यह कार्रवाई स्थिति को और खराब करती है और स्थापित राजनयिक मानदंडों और प्रथाओं के साथ असंगत है.
इसके साथ ही प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने भारतीय संस्थाओं पर अमेरिका द्वारा लगाए गए प्रतिबंध के संबंध में कहा कि भारत के पास रणनीतिक, व्यापार और नियंत्रण पर एक मजबूत कानूनी और नियामक ढांचा है. हमारी समझ यह है कि प्रतिबंध, लेन-देन और कंपनियाँ भारतीय कानूनों का उल्लंघन नहीं करती हैं. फिर भी हम लागू निर्यात नियंत्रण प्रावधानों पर भारतीय कंपनियों को संवेदनशील बनाने के लिए सभी प्रासंगिक भारतीय विभागों और एजेंसियों के साथ काम कर रहे हैं. हम मुद्दों को स्पष्ट करने के लिए अमेरिकी अधिकारियों के संपर्क में भी हैं.