नीरज उपाध्याय, सारण. Chhath Puja 2024: छठ पूजा का महापर्व नजदीक आने के साथ ही पूरे बिहार में इसकी तैयारियां जोरों पर हैं. हिंदू समाज का यह एक अत्यंत महत्वपूर्ण और पवित्र पर्व माना जाता है, जिसमें सूर्य देव और छठी मैया की पूजा-अर्चना की जाती है. विशेष बात यह है कि इस पूजा में सिर्फ हिंदू समाज ही नहीं, बल्कि मुस्लिम समुदाय का भी बड़ा योगदान रहता है. छठ पर्व की तैयारियों में हिंदू और मुस्लिम समुदाय का सामूहिक सहयोग देखने को मिलता है, जो धार्मिक समरसता और सामाजिक एकता का प्रतीक है.
छठ पूजा में मुस्लिम महिलाओं की भूमिका
छपरा के भगवान बाजार इलाके में छठ पूजा के लिए प्रसाद बनाने हेतु विशेष प्रकार के चूल्हे बनाए जाते हैं. इन चूल्हों को बनाने का काम मुस्लिम महिलाएं करती हैं. छठ पर्व के दौरान प्रसाद तैयार करने के लिए स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जाता है. इसी कारण हर वर्ष इन चूल्हों का निर्माण पूरी निष्ठा और स्वच्छता के साथ किया जाता है. इस काम में जुड़ी सीमा खातून बताती हैं कि, ‘वे पिछले कई वर्षों से छठ महापर्व के लिए चूल्हे बना रही हैं. उन्होंने बताया कि, ये चूल्हे विशेष रूप से पवित्रता और शुद्धता का ख्याल रखते हुए बनाए जाते हैं, ताकि पूजा के प्रसाद में किसी भी तरह की अशुद्धता न हो.’
300 रुपये जोड़ी बिक रहे चूल्हे
छठ पूजा के लिए चूल्हों की मांग हर साल बढ़ती जाती है. भगवान बाजार में सीमा खातून और अन्य मुस्लिम महिलाएं जोड़ी के हिसाब से चूल्हे बेच रही हैं, जिनकी कीमत लगभग 300 रुपये है. दुर्गा पूजा के समाप्त होते ही ये महिलाएं छठ पूजा की तैयारी में जुट जाती हैं और लोगों की मांग के अनुसार चूल्हे तैयार करती हैं. इन चूल्हों को मिट्टी और गोबर का उपयोग करके बनाया जाता है, जो पर्यावरण के लिए भी अनुकूल होते हैं और धार्मिक आस्था के अनुसार शुद्ध माने जाते हैं.
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धार्मिक समरसता का उदाहरण
छठ पूजा में मुस्लिम समुदाय का यह योगदान धार्मिक सहिष्णुता और सांप्रदायिक सौहार्द का अद्वितीय उदाहरण है. इस त्योहार में हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों का योगदान यह दर्शाता है कि बिहार में धार्मिक त्यौहार समाज में एकता और भाईचारे को मजबूत करते हैं.
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