Chhath Puja 2024: अटूट आस्था का पर्व छठ. प्रकृति पूजा का पर्व छठ. रीति-रिवाजों, संस्कारों, परंपराओं का पर्व छठ. यह पर्व हर वर्ष कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है. यूं तो यह पर्व विशेष रूप से बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश, नेपाल के तराई क्षेत्र और पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों में प्रमुखता से मनाया तो जाता है ही, साथ ही अब इन क्षेत्रों में रहने वाले लोग पूरे देश में बसे हुए हैं. यही वजह है कि अब यह देशव्यापी पर्व हो गया है. यह सूर्य देवता की आराधना का पर्व है. इसमें कुछ चीजें कॉमन यानी एक जैसी ही होती हैं.

छठ पूजा कब है. वे 9 चीजें कौन-सी चीजें हैं, जिनके बिना छठ पूजा अधूरी है. आईए इस आर्टिकल के ज​रिए जानते हैं.

Chhath Puja 2024: इन 9 चीजों के बिना अधूरी है छठ माई और सूर्य देवता की छठ पूजा

डाला और सूप

छठ पूजा की पूरी पूजन सामग्री डाला-सूप में रखी जाती हैं. ये दोनों ही बांस से बने होते हैं, क्योंकि बांस पवित्र और श्रेष्ठ माना गया है.

ठेकुआ

ठेकुआ और छठ एक दूसरे के पूरक हैं. आटा, गुड़, ड्राई फ्रूट्स से तैयार ठेकुओ को घी में तला जाता है. इसे प्रसाद के रूप में खाया जाता है. साथ ही इसे वितरित भी किया जाता है. इसके बिना पूरी पूजा अधूरी है.

नारियल

यूं तो नारियल के बिना हर पूजा अधूरी है. छठ में भी इसका बड़ा महत्व है. कच्चा और सूखा नारियल डाला और सूप में रखना अनिवार्य है. अगर, कोई भगवान से कोई मन्नत मांगी है इनकी संख्या बढ़ भी सकती है.

गागर नींबू

गागर नींबू छठ की पहचान है. यूपी और बिहार में बकायदा छठ पूजा के लिए इसकी खेती होती है. बाकि राज्यों में इसकी उपलब्धता नहीं होने पर सामान्य ​नीबू का इस्तेमाल किया जाता है.

अरक पात

ये रुई से बने गोल-गोल पत्ते होते हैं. इन पत्तों को डाला और सूप में रखा जाता है. इस कई हिंदी भाषी राज्यों में आलता बाती भी कहते हैं. यह सूर्य के प्रतीक माने जाते हैं. लाल धागे से बनी माला भी रखते हैं.

गन्ना

जैसे गागर नींबू छठ की पहचान है, ठीक वैसे ही गन्ना भी छठ की पहचान है. गन्ना या ईंख के तुकडे डाला-सूप में रखे जाते हैं.

केला

केले का घौद या केले के हत्थे को डाला में रखे जाने की परंपरा है.इनकी संख्या मन्नत पर निर्भर होती है.

पान-सुपारी

छठ पूजा के दौरान सूर्य का आव्हान करने के दौरान व्रत रखने वाली महिलाएं हाथ में पान-सुपारी रखती हैं. भगवान से वि​नती करती हैं कि वे पूजा स्थल पर आएं. अपना आसन ग्रहण करें. पूजा स्वीकार  करें.

केराव

देसी और जंगली मटर को केराव कहा जाता है. इस मटर को पानी में भिगोकर और फुलाकर सूप और डाला में रखा जाता है.