विक्रम मिश्र, लखनऊ। उत्तर प्रदेश में सत्ता और विपक्ष की रार तो देखी जाती है। लेकिन पार्टी के दो नेता ही आमने सामने आ जाये तो फिर कुर्सी पर संकट ही है। लोकसभा चुनाव के बाद यूपी के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य कई दिनों तक दिल्ली में बैठे रहे थे। अटकलें थी कि पार्टी आलाकमान भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के रवैये से खुश नहीं है और मुख्यमंत्री बदलने तक की चर्चा चल रही थी। कई मीटिंग और पार्टी कार्यक्रम में दोनों उप मुख्यमंत्री यानी केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक शामिल नहीं हो रहे थे।
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चर्चा है कि योगी को उपचुनाव तक की मोहलत मिली है, खबर आई कि भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने योगी आदित्यनाथ को उपचुनावों तक मौका दिया है। अगर उपचुनाव में भाजपा का प्रदर्शन ठीक नहीं होता है तो शीर्ष स्तर पर परिवर्तन होने की संभावना प्रबल है।
ये पार्टी का नारा नही है
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हिन्दू वोट को संगठित करने के लिए बांग्लादेश में हिंदुओं की स्थिति का बयान करते हुए ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ का नारा दिया था। उन्ही के सरकार में उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कह दिया है कि यह भाजपा का नारा नहीं है। भाजपा इस नारे पर चुनाव नहीं लड़ रही है।
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भितरघातियों पर टीम योगी की पैनी नज़र
योगी समर्थकों का मानना है कि उपचुनाव में भितरघात हो रहा है और पार्टी के कई नेता इसमें उम्मीदवारों का अंदररखाने विरोध कर रहे हैं। उनको पता है कि अगर भाजपा का प्रदर्शन अच्छा होता है तो 2027 के चुनाव के लिए योगी की कुर्सी पक्की होगी।
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