विक्रम मिश्र, लखनऊ। उत्तर प्रदेश कैबिनेट में एक गुपचुप फैसला हुआ जो देर रात सार्वजनिक हो गया। मामला चौंकाने वाला है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट का आदेश को कैबिनेट के आदेश से कैसे बदला जा सकता है? दरअसल यूपी में डीजीपी के चयन के लिए संघ लोक सेवा आयोग को नाम भेजने की जरूरत नहीं होगा। बल्कि राज्य सरकार खुद ही नाम तय करेगी। नए नियम के तहत डीजीपी का कार्यकाल 2 साल का होगा। वहीं इस पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने योगी सरकार पर निशाना साधा है। 

अखिलेश यादव ने X पर किया ट्वीट 

उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर लिखा- सुना है किसी बड़े पुलिस अधिकारी को स्थायी पद देने और और उसका कार्यकाल 2 साल बढ़ाने की व्यवस्था बनायी जा रही है… सवाल ये है कि व्यवस्था बनाने वाले ख़ुद 2 साल रहेंगे या नहीं। सपा चीफ ने लिखा- कहीं ये दिल्ली के हाथ से लगाम अपने हाथ में लेने की कोशिश तो नहीं है। दिल्ली बनाम लखनऊ 2.0

डीजीपी के चयन के लिए नियमावली पर लगी मुहर

योगी कैबिनेट ने यूपी के डीजीपी के चयन के लिए नियमावली पर मुहर लगा दिया है। डीजीपी चयन और कार्यवाहक पुलिस महानिदेशक के मसले को लेकर योगी सरकार लगातार विपक्षियों के निशाने पर रही है। इस रार से निपटने के लिए मुख्यमंत्री योगी के कैबिनेट ने इसका पटाक्षेप कर दिया है। जबकि फिलहाल के पुलिस मुखिया प्रशांत कुमार को पूर्णकालिक डीजीपी बनाने की तैयारी की जा रही है। उन्हें दो साल का फिक्स कार्यकाल भी मिल सकता है। उम्मीद है कि उनके सेवानिवृत्ति के बाद एक विस्तार मिल सकता है।

कैसी होगी प्रक्रिया

पुलिस महानिदेशक उत्तर प्रदेश (यूपी के पुलिस बल प्रमुख) चयन एवं निर्देशावली 2024 को कैबिनेट ने मंजूरी दे दिया है। जिसके तहत अब उत्तर प्रदेश के पुलिस मुखिया का चयन हाईकोर्ट के रिटायर जज की अध्यक्षता वाली कमेटी द्वारा किया जाएगा। इस कमेटी में मुख्य सचिव, यूपीएससी की ओर से नामित एक व्यक्ति ,उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष या उनकी ओर से नामित व्यक्ति, अपर मुख्य सचिव या प्रमुख सचिव गृह और एक रिटायर डीजीपी कमेटी में होंगे। अभी तक सीनियोरिटी ऑर्डर में डीजीपी का चयन किया जाता रहा है। लेकिन नई नियमावली लागू होने के बाद अब पुलिस का नया मुखिया या डीजीपी वही बनेगा जिसकी कम से कम 6 महीने की नौकरी बची होगी।