स्कूलों से कितनी अलग होती है मदरसों में दी जाने वाली शिक्षा
Supreme Court
ने यूपी के मदरसों को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है.
SC ने इलाहाबाद HC का फैसला खारिज करते हुए मदरसों को संवैधानिक मान्यता प्रदान कर दी है.
देश में दो तरह के मदरसे होते हैं. एक वो होते हैं, जो चंदे पर चलते हैं.
इसके अलावा दूसरे वो होते हैं, जिन्हें सरकार की तरफ से आर्थिक मदद मिलती है.
सरकार ने अब मदरसों में एनसीईआरटी कोर्स भी लागू कर दिया है.
सामान्य तौर पर प्राइमरी, हाईस्कूल और इंटरमीडिएट और उसके बाद ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएशन के आधार पर पढ़ाई होती है.
लेकिन मदरसों में तहतानिया, फौकानिया और आलिया के स्तर पर तालीम दी जाती है.
मदरसों में प्राइमरी स्कूलों को तहतानिया, जूनियर हाईस्कूल लेवल की पढ़ाई को फौकनिया कहते हैं.
इसके बाद आलिया की पढ़ाई होती है.
इसमें मुंशी- मौलवी, आलिम, कामिल, फाजिल की पढ़ाई होती है.
इसमें सबसे पहले डिग्री मुंशी/मौलवी की होती है. इसे सामान्य रूप से हाईस्कूल के बराबर माना जाता है.
इसके बाद आलिम की डिग्री होती है, जो बारहवीं के बराबर होती है.
वही, ग्रेजुएशन को कामिल और पोस्ट ग्रेजुएशन को फाजिल कहते हैं.