नीरज उपाध्याय, सारण. Chhath Puja 2024: बिहार समेत पूरे देश में इस समय सनातन धर्म की सबसे बड़ी पूजा छठ महापर्व की धूम है। जिसको श्रद्धालु भक्त बड़ी ही जिम्मेवारी, निष्ठा, दिल में उल्लास और काफी शुद्धता के साथ करते हैं। खास कर छठ पूजा पुत्र या पुत्री यानी कि संतान प्राप्ति और मन्नत पूरी होने पर किया जाता है। छठी मईया से श्रद्धालु भक्त जो भी मन्नत मांगते है। उसके बदले में अपना एक दंड भी स्वीकार करते है, जिसमें मुख्य रूप से बजा बजाने, आंचल पर डांस कराने, शिरशोता बनाने, डंडी प्रणाम यानी (भुई पड़ी) सहित अन्य कई प्रकार की दंड शामिल है।

छठी मईया की छठ पूजा में पूर्ण रूप से आस्था रखने वाले में सारण जिला के परसा थाना क्षेत्र अंतर्गत जमलकी गांव निवासी दीपक कुमार सिंह और उनकी पत्नी रेखा देवी भी शामिल हैं, जो विगत 9 वर्षों से एक साथ छठ पूजा करने की शुरुआत किया है। इस वर्ष भी दंपति एक साथ छठ पर्व कर रहे है।

मां के कहने पर छठ व्रत करने का निर्णय लिया

शायद बहुत कम ही दंपति होंगे जो एक साथ लंबे समय तक व्रत करते आ रहे है। एक साथ छठ पूजा करने के संबंध में दीपक कुमार ने बताया की, जब मैं पढ़ाई कर रहा था। उस समय छठ पूजा में शामिल होने घाट पर जाता था। उस दौड़ में कई पुरुष लोगो को छठ व्रत करते देखा करता था। छठ पूजा की आस्था को देख उस समय से मन में जिज्ञासा होती थी कि आगे आने वाले समय में मैं भी छठ व्रत करुंगा। लेकिन पारिवारिक स्थिति बहुत दयनीय थी। काफी परेशानी से पारिवारिक जीवन गुजर रहा था। शादी के बाद एक पुत्री का जन्म हुआ। उसके बाद दो पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। इसी के बाद धीरे-धीरे पारिवारिक परेशानियों से मुक्ति मिलने लगा। तो मां के कहने पर पत्नी ने छठ व्रत करने की बातें बोली। उस पर मेरी सहमति बनी और मैंने भी अपने मन्नत और जिज्ञासा के अनुसार छठ व्रत करने का निर्णय ले लिया।

2016 से छठ कर रहे हैं पति-पत्नी

छठी मईया के भक्त मकेर प्रखंड के फुलवरिया पंचायत अंतर्गत जमलकी गांव निवासी दीपक कुमार सिंह ने बताया कि, वर्ष 2016 में पति-पत्नी ने छठ करने का निर्णय लिया। एक साथ पैतृक आवास जमलकी से माता शारदा देवी, बहन पूनम देवी, रिंकू देवी और संजू देवी के साथ छठ पूजा की शुरुआत किया।उस वर्ष पत्नी रेखा देवी ने दंड प्रणाम (भुई पड़ी) छठ घाट गई थी। उसके बाद से इस परंपरा को बरकरार रखने के उद्देश्य से वर्ष 2017 से लगातार दंड प्रणाम भुई पड़ी से छठ घाट पहुंच भगवान भास्कर को तालाब में स्नान करने के बाद अर्घ देकर परिवार, समाज और देश में अमन चैन की कामना करते आ रहे है।

नई उर्जा का होता है संचार

दीपक कुमार ने बताया कि, घर से काफी दूरी पर छठ घाट स्थित है। जो सड़क पूर्ण रूप से कालीकरण है। उस पर शरीर को कष्ट देते हुए घाट तक जाना कदापि संभव नही है। लेकिन छठी मईया की शक्ति और भगवान भास्कर की आराधना से जो ऊर्जा मिलती है। उसी के बदौलत भूखे प्यासे शरीर को कष्ट देते हुए भुई पड़ी करते हुए आसानी से छठ घाट पहुंच जाते है। इतना कठिन परिश्रम के बाद छठी मईया और भगवान भास्कर की आशीर्वाद से थोड़ी सी भी थकान शरीर में महसूस नहीं होती है। हालांकि छठ पूजा के बाद शरीर मे एक नई ऊर्जा का संचार होता है।

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खास कर छठ पूजा जब पुरुष करते है, तो उनका कुछ वर्ष का मन्नत होता है। लेकिन दीपक कुमार ने कहा कि, साल में एक बार छठ पूजा करने का मौका प्राप्त होता हैं, छठ व्रत करने की मन्नत थी। लेकिन समय तय नही था। उन्होंने कहा कि जब तक छठी मईया की परिवार पर आशीर्वाद रहेगा तब तक व्रत करने का इरादा है।

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दंड प्रणाम करते हुए जाता हैं छठ घाट

दीपक कुमार ने कहा कि, जब तक छठी मईया की व्रत करेंगे तब तक छठ घाट तक दंड प्रणाम यानी भुई पड़ी करते ही अर्घ्य देने जाते रहेंगे। सनातन धर्म के अनुसार सभी देवी देवताओं की आराधना में रुचि है। इसके अलावे अखंड अष्टयाम, कथा पूजा या यज्ञ में भी काफी रुचि रहती है। मनुष्य को पूजा अर्चना, अनुष्ठान करने से सद बुद्धि का शरीर में विकास होता है। समाज का कल्याण के साथ परिवार में खुशी का महौल बनता है। परिवार के सभी सदस्यों के जीवन में ऊर्जा उत्पन होती है। परिवार से नकारात्मक ऊर्जा का संचार बंद होता है।

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