Maha Kumbh 2025. अखाड़ा परिषद पर रार अब और बढ़ गई है. बीते दिन हुई मारपीट के बाद दोनों पक्ष ने थाने में रिपोर्ट दर्ज करने के लिए आवेदन किया है. एक पक्ष ने धमकी दी है कि अगर प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) लिखकर कार्रवाई नहीं की जाती तो वह अखाड़ा परिषद की बैठक का विरोध करेंगे और उसमें शामिल नहीं होंगे. कुल 13 अखाड़ों में से 7 अखाड़े एक तरफ हैं, जबकि 6 अखाड़े दूसरी तरफ हैं. अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी की मौत के बाद परिषद में दो फाड़ हो गया. दोनों के अध्यक्ष रवींद्र पुरी नाम के दो अलग-अलग महंत हैं.

जूना अखाड़े के संरक्षक हरिगिरी और निरंजनी अखाड़े के महन्त रवीन्द्र पुरी एक साथ हैं. इनके साथ 7 अखाड़ों का समर्थन है.
दूसरी तरफ महानिर्वाणी अखाड़े के महंत रवींद्र पुरी दूसरे गुट के अध्यक्ष हैं. उनके साथ वैष्णव अखाड़े के राजेंद्र दास महामंत्री हैं. बैठने के विवाद को लेकर गुरुवार को निर्मोही अखाड़े के राजेंद्र दास के साथ मारपीट हुई. दोनों गुट अलग-अलग राग अलाप रहे हैं. इस बीच एक और विवाद खड़ा किया जा रहा है, जिसमें शाही स्नान जिसे अमृत स्नान या राजसी स्नान कहा जा रहा है, उसमें बदलाव की मांग हो रही है. इतना ही नहीं स्नान के क्रम को भी बदलने की मांग की जा रही है.

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स्नान के क्रम को लेकर भी मतभेद

संतों की मांग है कि ये क्रम अंग्रेजों के समय से चला आ रहा एक समझौता है. यह अखाड़ा परिषद और प्रशासन के बीच में हुआ था. इसमें सर्वप्रथम महानिर्वाणी अखाड़ा स्नान करता है. इसके बाद ही अन्य अखाड़े स्नान करते हैं. अब हरिगिरि गुट के लोग ये कह रहे हैं कि जूना अखाड़े को प्रथम स्नान का मौका मिलना चाहिए. हरिगिरी गुट के अध्यक्ष निरंजनी अखाड़े के प्रमुख रविंद्र पुरी का कहना है कि जूना अखाड़ा सबसे बड़ा अखाड़ा है. ज्यादा समय मिलना चाहिए. इसीलिए इसे सबसे पहले स्नान का मौका दिया जाना चाहिए. वह अपने दावे के समर्थन में रहते हैं कि परंपराएं हम बनाते हैं. अब यही परंपरा होना चाहिए.
फिलहाल अखाड़ा परिषद का विवाद महाकुंभ 2025 (Maha Kumbh 2025) के आयोजन में बड़ा रोड़ा है.

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दोनों तरफ से दिए गए प्रार्थना पत्र पर मेला प्रशासन जांच कराएगा. इस संबंध में एडीएम महाकुंभ 2025 (Maha Kumbh 2025) विवेक चतुर्वेदी ने बताया कि आवेदन पत्र पर प्रशासन जांच करा कर आवश्यक कार्रवाई करेगा.