Gopashtami: गोपाष्टमी का त्योहार कार्तिक शुक्ल पक्ष के आठवें दिन यानी कल (11/9/2024) मनाया जाएगा. यह गायों की पूजा और प्रार्थना को समर्पित त्योहार है. हिंदू धर्म में गाय की पूजा का बहुत महत्व है. इसके अलावा इसका महत्व भी बहुत ज्यादा है. गाय को आध्यात्मिक और दैवीय गुणों से युक्त भी कहा जाता है.
मान्यता के अनुसार, गोपाष्टमी के पर्व पर गायों की पूजा करने वालों को सुख-समृद्धि के साथ-साथ सुखी जीवन और सौभाग्य की प्राप्ति होती है. सनातन धर्म में गोपाष्टमी के पर्व का बड़ा धार्मिक महत्व है. यह दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा को समर्पित है. मथुरा, वृन्दावन और ब्रज में इस पर्व को बहुत धूमधाम से मनाया जाता है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार, गोपाष्टमी कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है. इस वर्ष यह 9 नवंबर को मनाया जाएगा. आइए जानते हैं इस त्योहार से जुड़ी अहम बातें.
Gopashtami का शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार कार्तिक माह शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 8 नवंबर को रात्रि 11:56 बजे से प्रारंभ हो रही है. वहीं, इसका समापन अगले दिन 9 नवंबर को रात 10:45 बजे होगा. गोपाष्टमी का त्योहार उदयातिथि के अनुसार 9 नवंबर को मनाया जाएगा. इस दिन अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:43 बजे से 12:26 बजे तक रहेगा.
विजय मुहूर्त
दोपहर 1:53 से 2:37 बजे तक इस अवधि में पूजा-पाठ जैसा कोई भी शुभ कार्य किया जा सकता है.
आसक्ति
गोपाष्टमी के दिन कान्हाजी को माखन और चीनी का भोग लगाना चाहिए. गाय और बछड़ों को हरी घास खिलानी चाहिए.
Gopashtami पूजा विधि
- भक्त सुबह जल्दी उठते हैं और पूजा अनुष्ठान शुरू होने से पहले घर की सफाई करते हैं.
- गाय माता की मूर्ति को उन्हें गंगाजल से स्नान कराएं.
- कुमकुम, चंदन आदि से तिलक करें.
- घी का दीपक जलाएं.
- फल, फूल, तुलसी के पत्ते और घर में बनी मिठाई अर्पित करें.
- वैदिक मंत्रों का जाप करें और श्रीकृष्ण के साथ-साथ गौ माता की भी पूजा करें.
- जो लोग घर में गीत गाते हों उन्हें पहले स्नान कराकर हल्दी, रोली, पुष्प, घंटियाँ आदि से सजाना चाहिए.
- फिर उन्हें हरी घास, रोटी और गुड़ खिलाएं.
- इसके अलावा जिन लोगों के घर में गाय नहीं हैं वे चाहें तो खलिहान में जाकर गायों की सेवा कर सकते हैं.
- शाम के समय न श्रीकृष्ण और गौ माता की भी पूजा करें.
- साथ ही भगवान कृष्ण के मंदिरों में भी जाएं और विशेष पूजा-अर्चना करें.
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