Mrityu Panchak: हिंदू धर्म में हर शुभ कार्य शुभ मुहूर्त देखकर किया जाता है. भारतीय न ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अशुभ समय में किए गए कार्यों का अपेक्षित फल नहीं मिलता है. यही कारण है कि पंचक में कई शुभ कार्य वर्जित माने गए हैं. शनिवार से प्रारंभ होने वाले पंचक को मृत्यु पंचक कहा जाता है. इसे सबसे कष्टकारी माना जाता है. इस दौरान अन्य दिनों की तुलना में अधिक शारीरिक, मानसिक और आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है. इसके साथ ही मृत्यु पंचम के दौरान दुर्घटनाओं का खतरा सबसे ज्यादा रहता है. यह 9 नवंबर को रात 11:27 बजे शुरू होगा और 14 नवंबर को सुबह 3:11 बजे समाप्त होगा.

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब चंद्रमा इन पांच नक्षत्रों में प्रवेश करता है तो पंचक बनता है. चंद्रमा रोजाना हर ढाई दिन में अपनी राशि और नक्षत्र बदलता है, जिसका असर हर किसी के जीवन पर पड़ता है. आपको बता दें कि हर महीने इन पांच दिनों के दौरान चंद्रमा धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद और रेवती नक्षत्र से होकर गुजरता है. इसी बीच पंचक होता है. इसके साथ ही सप्ताह के जिस दिन पंचक प्रारंभ हुआ है. पंचक को तदनुसार शुभ या अशुभ माना जाता है. आइए जानते हैं कब है पंचक और क्या करें और क्या न करें…

Mrityu Panchak के दौरान क्या करें और क्या न करें

इस दौरान पलंग, सोफ़ा, पलंग आदि बनाना वर्जित है, इससे अशुभ फल मिलते हैं.

मृत्यु पंचक के दौरान सीलिंग वर्जित है. ऐसा माना जाता है कि पंचक के दौरान बिछाई गई छत के नीचे रहने वाले सदस्यों को सुख और शांति नहीं मिलती है.

पंचक के दौरान दक्षिण दिशा में यात्रा करना वर्जित है. अगर किसी कारणवश जाना पड़े तो हनुमान जी की पूजा करने के साथ उन्हें फल भी चढ़ाएं.

यदि किसी की मृत्यु पंचक काल में हो जाती है, तो पंचक दोष से मुक्ति के लिए 5 कुश या आटे के पुतले बनाकर शव के साथ अर्थी पर रखे जाते हैं. उनका विधिवत दाह संस्कार भी किया जाता है.