विक्रम मिश्र, लखनऊ. बच्चों, किशोरी बालिकों और गर्भवती महिलाओं को स्वास्थ्यवर्धक रेसिपी बेस्ड पुष्टाहार उपलब्ध कराने की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कुपोषित टेक होम राशन महत्वकांक्षी योजना अधिकारियों के नज़र इनायत का शिकार हो गई है। इस रेसिपी बेस्ड पुष्टाहार को तैयार करवाने के लिए 300 महिला स्वयं सहायता समूह द्वारा 43 जिलों में स्थापित की गई 204 उत्पादन इकाइयां मात्र 30 फीसदी आपूर्ति कर पा रही हैं। बाकी 70 फीसदी पुष्टाहार नैफेड के माध्यम से खरीदा जा रहा है। इस योजना पर खर्च किए जा रहे करोड़ों रुपए का बजट पर पानी फिरने की उम्मीद है। इससे सरकार की ग्रामीण महिलाओं को संबल करने और पुष्टाहार आपूर्ति के लिए कुख्यात फर्मों के काकस पर अंकुश लगाने की मंशा को तगड़ा झटका लगा है।
महिला मंत्री और महिला IAS अफसरों की कार्यप्रणाली पर सवाल
सबसे रोचक तथ्य यह है कि इस योजना को साकार करने के लिए सरकार ने महिला मंत्री बेबी रानी मौर्य और राज्य मंत्री प्रतिभा शुक्ला से लेकर कई महिला आईएएस अफसरों जिसमे निदेशक सरनीत कौर ब्रॉका, प्रमुख सचिव लीना जौहरी और विशेष सचिव बी चंद्रकला को तैनात कर रखा है। जिससे की महिलाओं को वाजिब पुष्टाहार एवम अन्य व्यवस्थाओं को सुदृढ किया जा सके। इसके बावजूद न तो अनुपूरक पुष्टाहार में सड़ा-गला और कीड़े युक्त गेंहू का प्रयोग रुक पा रहा है और न ही घटतौली रुक पा रही है। जिससे महिला मंत्री और महिला आईएएस अफसरों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
बहराइच, ललितपुर, सहारनपुर, श्रावस्ती, चित्रकूट की टीएचआर इकाईयों में मात्र 30 प्रतिशत का उत्पादन हो रहा है। जबकि जालौन, लखीमपुर खीरी, प्रयागराज, लखनऊ, शामली, बाराबंकी, देवारिया, बंदायू, आगरा, बस्ती, बागपत, संतकबीर नगर, चंदौली, मैनपुरी, महाराजगंज, सिद्घार्थ नगर, सुल्तानपुर, अम्बेडकरनगर, अमेठी की टीएचआर इकाईयों में 21 से 30 प्रतिशत उत्पादन हो रहा है। जबकि औरेया, महोबा, इटावा, प्रतापगढ़, गोरखपुर, वाराणसी सोनभद्र में 15 से 20 प्रतिशत ही उत्पादन हो रहा है।
एक अच्छी योजना अफसरों की कमाओ और खाओ नीति के कारण दम तोड़ रही है। इस योजना की शुरूआत में बातें तो महिलाओं और बच्चों के उत्थान की गई। आप सोचिये कि गांव की महिलाओं को इस योजना के लिए किया गया एमओयू अंग्रेजी में है। टीएचआर इकाईयां स्थापित करने के लिए 3 वेंडर कम्पनियां तुलसी एग्री इंजी मीच प्राईवेट लिमिटेड, फ्लोटेक इंजीनियर्स प्राइवेट लिमिटेड, पायलेटस्मिथ इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के साथ सप्लाई और सर्विस एग्रीमेंट हुआ था।
टीएचआर इकाईयों को लेकर कुछ दिनों पूर्व मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह, कृषि उत्पादन मोनिका एस. गर्ग और प्रमुख सचिव लीना जौहरी की अध्यक्षता में हुई बैठक में तमाम खामियां सामने आईं। इन टीएचआर उत्पादन इकाईयों की बदहाली की पोल जिला कार्यक्रम अधिकारी द्वारा नामित किए गए उपनिदेशक के औचक निरीक्षण की रिपोर्ट से खुलती है। औरेया, हमीरपुर, देवरिया, गोरखपुर, आगरा, चंदौली की इकाईयों में सड़े, गले, घुने और कीड़े लगे गेहूं, चना, दाल, मूंगफली का प्रयोग किया जा रहा है। साथ ही निर्धारित वजन से कम वजन का पैकेट्स तैयार किए जा रहे हैं। इससे आज अंदाजा लगा सकते हैं कि मुख्यमंत्री के जिले गोरखपुर तक सड़े-गले अन्न से पुष्टाहार तैयार किया जा रहा है।
शासन के दिनांक 9 मार्च 2021 का पत्रांक संख्या 589/58-1-21-2/1(116)/17 टीसी-सी से पता चलता है कि नैफेड के जरिए 70 फीसदी फोर्टिफाइड गेहूं, दलिया, चना, दाल एवं फोर्टिफाइड खाद्य तेल आपूर्ति की जा रही है। इससे साफ होता है कि टीएचआर इकाईयों के सफल न होने से जो काकस आईसीडीएस में पुष्टाहार आपूर्ति करता था। वह अब भी नैफेड के जरिए अपना काम कर रहा है।
कई टीएचआर इकाईयों के प्रतिनिधियों ने नाम न छापने की शर्त पर लल्लूराम डॉट कॉम को बताया कि पहले सरकार ने इस मॉडल को वेलफेयर के तौर पर प्रचारित और प्रसारित किया, लेकिन अब यह बिजनेस मॉडल के तौर पर स्थापित करने की कवायद चल रही है। अधिकतर इकाईयों में कार्यरत महिलाएं अल्प शिक्षित हैं। जिसका लाभ एमओयू वाली कम्पनियों तुलसी एग्रो इंजी मीच प्राइवेट लिमिटेड फ्लोरटेक इंजीनियर्स प्राइवेट लिमिटेड और पायलेटस्मिथ इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को मिल रहा है।
बस प्रोपोगेंडा बन गई है योजना
ग्राम्य विकास विभाग ने मई 2023 में बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग को टीएचआर इकाईयों पर 935.27 करोड़ रुपए वार्षिक बजट का प्रस्ताव दिया था। इस पर यूपीएसआरएलएम ने 935.27 करोड़ रुपए के खर्च का परीक्षण कर वित्त वर्ष 2023-24 के लिए योजना प्रारम्भ से सितम्बर 2023 तक कुल 160.19 करोड़ रुपए आगामी छह माह यानी अक्टूबर 2023 से मार्च 2024 तक के लिए 101.94 करोड़ रुपए यानी कुल 262.13 करोड़ रुपए खर्च को उपयुक्त पाया था। जिलों में स्थापित टीएचआर इकाईयां अपनी क्षमता के मुताबिक उत्पादन नहीं कर पा रही हैं। 10 अक्टूबर 2024 को हुई समीक्षा बैठक के रिकार्ड के मुताबिक 17 जिलों में 30 फीसदी, 19 जिलों में 21-30 फीसदी और 7 जिलों में 15-20 प्रतिशत ही उत्पादन हुआ। इसी तरह 21 जिलों में 1.56 मीट्रिक टन, 16 जिलों में 1.155 मीट्रिक टन और 6 जिलों में 1.8 मीट्रिक टन का प्रतिदिन उत्पादन हुआ है। इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि टीएचआर योजनाएं किस तरह से लालफीताशाही के कारण दम तोड़ रही हैं। सितम्बर 2023 तक 30 जिलों के टीएचआर इकाईयों में 17.98 करोड़ रुपए का घाटा हो चुका है। टीएचआर इकाईयों को 262 करोड़ रुपए के वीजीएफ निधि में से मात्र 87 करोड़ रुपए जारी किए गए हैं।
मंत्री चुप तो अधिकारी नहीं उठा रहे फोन
महिला कल्याण बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग की मंत्री बेबीरानी मौर्य और विभाग की प्रमुख सचिव लीना जौहरी और कार्यवाहक निदेशक संदीप कौर से इस संबंध में जानकारी मांगी गई। लेकिन व्यस्तता के हवाला देकर फोन रख दिया गया।
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