शुभम जायसवाल, राजगढ़। मध्य प्रदेश सरकार अच्छी स्वास्थ्य सुविधा के लिए तमाम प्रकार के प्रयास कर रही है। लेकिन राजगढ़ जिला अस्पताल के जिम्मेदार डॉक्टर सरकार के प्रयास पर पानी फेरने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे है। अगर किसी प्रसूता को यहां डिलीवरी करवाना है तो पहले उन्हें यहां चार से पांच हज़ार रुपए देने पड़ते। अगर वे पैसे नहीं देते तो उन्हें सिरियस बता कर अन्य अस्पताल में रेफर कर दिया जाता है।

पहले भी लग चुके है ऐसे आरोप 

इससे पहले भी पूर्व में दो डॉक्टरों पर सैड़कों प्रसूताओ ने पैसे लेने का आरोप विधायक के सामने लगाया था, लेकिन कुछ विशेष कार्रवाई नहीं की गई। जिला अस्पताल में डिलीवरी वाली महिला को इतना डरा दिया जाता है कि वे और उसके परिजन पैसे देने पर मजबूर हो जाते है। हैरानी वाली बात तो यह है कि पैसे मिलने के बाद आसानी से नॉर्मल डिलीवरी कर दी जाती है।   

मज़बूरी में करा रहे इलाज 

दरअसल सरकारी अस्पताल में अक्सर गरीब और मध्यम वर्ग के लोग ही पहुंचते है। लेकिन अस्पताल प्रबंधन और यहां मौजूद डॉक्टर उनकी भी मजबूरी को नहीं समझते है। रेफ़र के बाद डिलीवरी के लिए प्रसूताओं को झालावाड़ या भोपाल या निजी अस्पताल में मोटी फीस पर इलाज करने पर मजबूर होना पड़ता है। 

सिविल सर्जन ने कही जांच की बात 

जिला अस्पताल में ऐसे कई फरियादी सामने आए, जिन्होंने मोटी रकम देकर प्रसूता महिलाओं की करवाई है। वहीं शिकायत के बाद बीजेपी उपाधयक चंद्रकला चौहान भी जिला अस्पताल पहुंची और उन्होंने दोषी घूसखोर डॉक्टरों पर कार्रवाई की मांग की है। वहीं इस पूरे मामले में जिला अस्पताल के सिविल सर्जन नितिन पटेल ने बयान देते हुए कहा कि मामला संज्ञान में आया है, जांच कर कार्रवाई की जाएगी। 

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