Rajasthan News: जगद्गुरु रामभद्राचार्य महाराज ने सोमवार को छोटी काशी में श्रीराम कथा के पांचवें दिन अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने श्रोताओं से कहा, जब रामलला को ला सकते हैं, तो मथुरा और काशी के ज्ञानवापी को भी लाकर दिखाएंगे। किसी संत को निराश होने की जरूरत नहीं है। महाराज ने राम कथा के दौरान ताड़का वध और राम विवाह की लीलाओं के प्रसंगों के साथ राष्ट्र और धार्मिक मुद्दों पर भी अपनी बात रखी।

रामभद्राचार्य ने कहा कि संतों का दायित्व है राष्ट्र की चिंता करना, और यह कार्य किसी पारिवारिक व्यक्ति के लिए कठिन है। उन्होंने स्पष्ट किया कि रेवासा पीठ की परंपरा और गौरव को बनाए रखने के लिए वे पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं।
कुंभ में बड़ा संकल्प: पाकिस्तान के नामोनिशान का होगा खात्मा
रामभद्राचार्य महाराज ने कुंभ के आगामी आयोजन में विशेष संकल्प लेते हुए कहा, यह देश गांधी परिवार का नहीं, बल्कि सनातनियों का है। इस बार कुंभ में ऐसा कुछ करेंगे कि पाकिस्तान का नाम विश्व के नक्शे से मिट जाएगा। साथ ही, उन्होंने 6 दिसंबर को चित्रकूट में संस्कृत विश्वविद्यालय की स्थापना करने की घोषणा की और कहा कि यह एक सांस्कृतिक आंदोलन की शुरुआत होगी।
उन्होंने अपनी भविष्य की योजनाओं में कहा कि उनका उद्देश्य देश में गौ हत्या रोकना, हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाना, और सत्ता परिवर्तन से बचते हुए चौथी बार नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाना है।
जयपुर के प्रति विशेष लगाव
रामभद्राचार्य ने जयपुर से अपने संबंध पर चर्चा करते हुए कहा कि 2003 में पहली बार जयपुर आए थे, लेकिन बीच के 21 वर्षों में नहीं आ पाए, जिसका उन्हें खेद है। उन्होंने वचन दिया कि अब हर वर्ष छोटी काशी आकर अपनी कथा सुनाएंगे।
सांस्कृतिक आयोजन और भजन संध्या
सोमवार को राम कथा के समापन के बाद भजन संध्या का आयोजन हुआ, जिसमें प्रसिद्ध भजन गायक लखबीर सिंह लक्खा के साथ मुंबई और कोलकाता के गायकों ने भजनों की प्रस्तुति दी। इस अवसर पर संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल और हवा महल विधायक बालमुकुंद आचार्य भी मौजूद थे।
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