Rajasthan Assembly By-Elections: राजस्थान विधानसभा उपचुनाव के लिए मतदान बुधवार सुबह 7 बजे से शुरू हो गया है. राज्य की 7 विधानसभा सीटों—दौसा, झुंझुनूं, देवली उनियारा, रामगढ़, खींवसर, सलूंबर और चौरासी—पर आज मतदान हो रहा है. मतदाता शाम 6 बजे तक अपने नजदीकी मतदान केंद्रों पर जाकर अपने मताधिकार का उपयोग कर सकते हैं. इन सीटों पर कुल 69 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं, जो प्रदेश की राजनीतिक दिशा तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे.
इधर दौसा में सांसद मुरारी लाल मीणा ने मतदान कर दिया है. बता दें, दौसा विधानसभा उपचुनाव के लिए 12 प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं. इसके लिए 240 पोलिंग बूथ बनाए गए हैं. यहां भाजपा प्रत्याशी और मंत्री किरोड़ी मीणा के भाई जगमोहन मीणा और कांग्रेस प्रत्याशी डीसी बैरवा के बीच कांटे की टक्कर है. वहीं और देवली-उनियारा विधानसभा में कांग्रेस प्रत्याशी कस्तूर चंद मीणा ने भी मतदान कर लिया है.
2023 के राजस्थान विधानसभा चुनाव में भाजपा के शंकर शर्मा को हराकर कांग्रेस के मुरारीलाल मीणा विधायक चुने गए थे. इसके बाद, 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने मुरारीलाल मीणा को अपना प्रत्याशी बनाया, और उन्होंने भाजपा के कन्हैयालाल मीणा को हराकर सांसद पद पर कब्जा किया. सांसद बनने के बाद मुरारीलाल ने विधायक पद से इस्तीफा दे दिया, जिसके कारण उनकी सीट खाली हो गई और अब उपचुनाव की प्रक्रिया शुरू हो गई है.
कांग्रेस प्रत्याशी कस्तूर चंद मीणा ने किया मतदान
वहीं देवली-उनियारा विधानसभा उपचुनाव के कांग्रेस प्रत्याशी कस्तूर चंद मीणा ने भी किया मतदान कर लिया है. बता दें, राजस्थान के देवली-उनियारा विधानसभा उपचुनाव में कुल 8 प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं, जिनमें कांग्रेस ने कस्तूर चंद मीना और भाजपा ने राजेंद्र गुर्जर को उम्मीदवार बनाया है. निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीना ने इस चुनाव को त्रिकोणीय बना दिया है, जिससे मुकाबला दिलचस्प हो गया है.
यह सीट 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के हरीश चंद्र मीना के जीतने के बाद खाली हुई थी, जब उन्होंने भाजपा के विजय बैंसला को हराया था. हरीश चंद्र मीना के सांसद बनने के कारण अब यह सीट उपचुनाव के लिए खुली है.
कांग्रेस पर चुनावी दबाव, भाजपा के लिए लिटमस टेस्ट
इस उपचुनाव को लेकर कांग्रेस पर 2019 के लोकसभा चुनाव परिणामों को दोहराने का दबाव है, जबकि क्षेत्रीय दलों जैसे राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) और भारत आदिवासी पार्टी (BAP) के लिए अपने अस्तित्व को बनाए रखने की चुनौती है. हालांकि, भाजपा के लिए यह उपचुनाव खासा महत्वपूर्ण है, क्योंकि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व में बनी 10 महीने पुरानी राज्य सरकार के लिए यह चुनाव लिटमस टेस्ट साबित हो सकता है. इन सात सीटों में से सिर्फ एक सीट भाजपा के पास थी, और इसी वजह से मुख्यमंत्री गहलोत ने प्रचार के दौरान खुद मोर्चा संभाला.
7 सीटों पर त्रिकोणीय और सीधा मुकाबला
बता दें, खींवसर, चौरासी, सलूंबर, झुंझुनूं और देवली उनियारा विधानसभा सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला देखा जा रहा है, जबकि दौसा और रामगढ़ सीट पर मुख्य रूप से भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधा संघर्ष है. वहीं दौसा विधानसभा सीट इस उपचुनाव में विशेष रूप से महत्वपूर्ण मानी जा रही है, जहां भाजपा के मंत्री किरोड़ी लाल मीणा के भाई जगन मोहन मीणा और कांग्रेस के दीनदयाल बैरवा के बीच सीधा मुकाबला है. यह सीट कांग्रेस नेता सचिन पायलट और किरोड़ी लाल मीणा के राजनीतिक प्रभाव के कारण हॉट सीट बनी हुई है. इसके अलावा खींवसर सीट पर भी सबकी निगाहें हैं, जहां आरएलपी प्रमुख हनुमान बेनीवाल की पत्नी कनिका बेनीवाल चुनावी मैदान में हैं. चौरासी सीट, जो आदिवासी बेल्ट में स्थित है, में भारत आदिवासी पार्टी के लिए अपने गढ़ को बचाने की चुनौती है.
मतदान प्रक्रिया जारी, 23 नवंबर को परिणाम
आज मतदान प्रक्रिया जारी है, और इसे लेकर मतदाता अपने-अपने बूथों पर पहुंचकर वोट डाल रहे हैं. यह उपचुनाव 23 नवंबर को खत्म होगा, जब चुनाव परिणामों का ऐलान किया जाएगा. इन सात सीटों पर परिणाम राज्य की सियासी तस्वीर को नया मोड़ दे सकते हैं.
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