रवि साहू, नारायणपुर. आजादी के दशकों बाद भी बस्तर का एक गांव ऐसा है, जो मूलभूत सुविधाओं के लिए आज भी संघर्ष कर रहा है. हम बता कर रहे हैं छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित नारायणपुर जिले के कुण्डोली गांव का, जहां बिजली, पानी, सड़क, शिक्षा, और स्वास्थ्य जैसी अनिवार्य सुविधाएं ग्रामीणों के लिए एक सपना बनी हुई है. ग्रामीण आज भी रात में आग जलाकर और लालटेन के सहारे अपना काम करते हैं. गांव की आबादी आधुनिकता से कट चुकी है. नारायणपुर से लगभग 65 किमी दूर कुण्डोली गांव में करीब 180 लोग रहते हैं. यह गांव नक्सल प्रभावित इलाके के नाम पर उपेक्षित होकर रह गया है.
पक्की सड़क का अभाव, गांव पहुंचने पार करना पड़ता है नदी-नाले
गांव में पक्की सड़कों का अभाव है. यहां पहुंचने के लिए नदी-नालों को पार करना पड़ता है. बरसात के दिनों में यह इलाका टापू में तब्दील हो जाता है, जहां ग्रामीण बाहरी दुनिया से कट जाते हैं. गांव में ना ही वाहनों का आवागमन होता है और ना ही किसी आपात स्थिति में मदद जल्दी पहुंच पाती है. सिर्फ कुछ महीनों के लिए ही ट्रैक्टर के जरिए गांव में सामान पहुंचाया जा सकता है. कुण्डोली अबूझमाड़ इलाके में नहीं है. यह गांव नारायणपुर-ओरछा मुख्य मार्ग स्थित धनोरा से बहुत ज्यादा दूर है.
आधुनिकता से कट चुकी है गांव की पूरी आबादी
बिजली का सपना ग्रामीणों के लिए सिर्फ सपना ही रह गया है. गांव में बिजली के पोल और ट्रांसफार्मर तो लगे हैं, परंतु अब तक यहां बिजली की आपूर्ति नहीं हो पाई है. बिजली क्या होती है, यह गांव के लोगों ने कभी महसूस नहीं किया. अंधेरे में जीवन व्यतीत करने वाले ग्रामीण आज भी आग जलाकर और लालटेन के सहारे अपना काम करते हैं. बच्चों की पढ़ाई पर भी इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. गांव की पूरी आबादी आधुनिकता से कट चुकी है.
झोपड़ीनुमा घोटुल में चल रहा स्कूल
कुण्डोली गांव में बच्चों के भविष्य को संवारने के लिए के ज्ञान ज्योति प्राथमिक शाला संचालित है, जो पिछले 14 वर्षों से झोपड़ीनुमा घोटुल में संचालित है. यहां केवल 13 बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं, जबकि कुछ बच्चे गांव में स्कूल न होने के कारण दूसरे स्थानों पर रहकर पढ़ाई करते हैं. शाला भवन निर्माण के लिए 20 लाख रुपये स्वीकृत हुए थे, लेकिन कुछ गड्ढे खोदने और सरिया लाकर अधूरा छोड़ दिया गया. बारिश के दिनों में यह झोपड़ी पानी से भर जाती है, जिससे बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होती है. पिछले 14 वर्षों से गांव में पदस्थ शिक्षक सनत साहू बताते हैं कि बरसात में वे 7-8 किलोमीटर तक नदी-नाले पार कर स्कूल पहुंचते हैं. कई बार नदी नाले उफान पर रहने के कारण गांव में फंस भी जाते हैं.
खराब पड़ा है हैंडपंप, नाले का दूषित पानी पीने ग्रामीण मजबूर
गांव में एक हैंडपंप है, जो लंबे समय से खराब पड़ा है. इस कारण ग्रामीण नाले का दूषित पानी पीने को मजबूर हैं, जो उनके स्वास्थ्य पर गंभीर असर डाल रहा है. दूषित पानी की वजह से गांव में बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है, परंतु अब तक इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया है. पीने का साफ पानी न मिल पाने के कारण गांव के लोग पीड़ा में जीवन जी रहे हैं. यह किसी भी इंसान के लिए असहनीय स्थिति है. इसके बावजूद उनका दर्द प्रशासन को सुनाई नहीं दे रहा.
गांव में कई बच्चों के कुपोषण का शिकार होने की खबरें सामने आई हैं. महिलाओं ने लंबे समय से आंगनबाड़ी केंद्र की मांग की है, ताकि बच्चों के पोषण और स्वास्थ्य की स्थिति में सुधार हो सके. आंगनबाड़ी न होने के कारण छोटे बच्चे पौष्टिक आहार और स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित हैं. शिशुओं और महिलाओं को उचित देखभाल न मिलने के कारण ग्रामीणों को शासन की योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता. महिलाओं की मांग है कि जल्द ही आंगनबाड़ी केंद्र खोला जाए. महिलाओं द्वारा राखी के माध्यम से भावनात्मक अनुरोध भी किया गया, परंतु वह भी अनसुना रहा.
प्रशासन से टूटने लगा ग्रामीणों का विश्वास
गांव के लोगों ने प्रशासन से अपनी समस्याओं के समाधान के लिए कई बार पत्राचार किया है. हाल ही में बीते रक्षाबंधन पर गांव की महिलाओं ने नारायणपुर के कलेक्टर को बड़ा भाई मानकर राखी भेजी, ताकि वे उनके बच्चों के भविष्य की खातिर शाला भवन की मांग को समझ सकें. महिलाओं ने उम्मीद की थी कि इस भावना को देखकर प्रशासन उनकी पीड़ा को समझेगा और कार्रवाई करेगा, परंतु राखी भेजने के बावजूद कोई जवाब नहीं आया, जिससे ग्रामीणों का विश्वास टूटने लगा है. महिलाओं का कहना है कि उन्होंने राखी भेजकर अपने दिल की बात कही, परंतु उनके इस प्रयास को भी अनसुना कर दिया गया.
जनपद सीईओं ने जल्द समस्याओं को दूर करने का दिया आश्वासन
जनपद पंचायत सीईओ एलएन पटेल ने बताया कि बारिश की वजह से शाला भवन का काम नहीं हो पाया है. इस सत्र में भवन बनकर तैयार हो जाएगा. उन्होंने पानी की समस्या के समाधान के लिए 15वें वित्त के टाइट फंड से कार्य का आश्वासन दिया है और पीएचई विभाग से जल्द ही हर घर में पानी के नल की योजना का भी आश्वासन दिया गया है. वहीं गांव के लोगों का विश्वास अब सिर्फ आश्वासनों पर नहीं रह गया है. वे वास्तविक कार्य की उम्मीद कर रहे हैं, ताकि उनकी स्थिति में सुधार हो.
कुण्डोली गांव के लोग अब एक बेहतर जीवन की आस में प्रशासन और सरकार की ओर देख रहे हैं. बुनियादी सुविधाओं का अभाव उनके जीवन को और भी कठिन बना रहा है. वे प्रशासन से अपील कर रहे हैं कि उनकी समस्याओं को गंभीरता से लिया जाए और जल्द से जल्द समाधान निकाला जाए. सड़क, बिजली, पानी, शिक्षा, आंगनबाड़ी और स्वास्थ्य जैसी जरूरी सुविधाएं किसी भी इंसान का अधिकार होती है. कुण्डोली के लोग अपने अधिकारों की मांग कर रहे हैं, ताकि उनके बच्चों का भविष्य सुरक्षित हो सके और वे भी एक सम्मानजनक जीवन जी सके. कुण्डोली के लोगों की यह मार्मिक अपील है कि उनके जीवन की कठिनाइयों को समझा जाए और उनके संघर्षमय जीवन को आसान बनाने के लिए प्रशासन एक कदम आगे बढ़ाएं.
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