बिलासपुर- छत्तीसगढ़ में प्लास्टिक कैरी बैग के पूर्ण प्रतिबंध होने के बावजूद कैरी बैग के उपयोग और दोषियों के विरूद्ध नियमानुसार कार्यवाही नहीं होने को लेकर हाईकोर्ट में दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग के विशेष सचिव उपस्थित हुए. न्यायमूर्ति प्रितींकर दिवाकर औऱ न्यायमूर्ति राम प्रसन्ना शर्मा की संयुक्त पीठ ने विशेष सचिव को अतिरिक्त शपथ पत्र के साथ 18 सितंबर को दोबारा पेश होने के आदेश दिये हैं.
कोर्ट ने इस बात पर भी चिंता जताई कि जनता को प्लास्टिक कैरी बैग के प्रतिबंध के नियम-कायदे समाचार माध्यमों के जरिए आम लोगों को बताया जाए. कोर्ट ने पूछा कि जिन राज्यों में पाॅलीथीन पूरी तरह से प्रतिबंधित हैं, उन राज्यों की तर्ज पर छत्तीसगढ़ कार्यवाही क्यों नहीं करता ? नगरीय प्रशासन विभाग के विशेष सचिव ने इस बात को स्वीकारा कि 2015 में जारी प्लास्टिक बैग के प्रतिबंध के बाद विशेष कार्यवाही क्यों नहीं की जा सकी. लेकिन कोर्ट के आदेश के बाद प्रदेश में 905 प्रकरणों में जिला न्यायालय में परिवाद दायर किया जा चुका है.
रायपुर के सामाजिक कार्यकर्ता और इस मामले में याचिका लगाने वाले नितिन सिंघवी की तरफ से मांग की गई कि दूध-ब्रेड जैसे खाने की सामग्रियों में उपयोग की जा रही पाॅलीथिन को छोड़कर अन्य सभी प्रकार के पाॅलीथिन, जो कि पैकिंग में व्यापक रूप से उपयोग किया जा रहा है. उस पर भी पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाये. सरकार की ओऱ से यह भी बताया गया कि प्रदेश में सभी प्रकार के प्लास्टिक कैरी बैग के उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की कार्यवाही की जा रही है.
उल्लेखनीय है कि पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत प्रतिबंधित किए गए प्लास्टिक कैरी बैग के उपयोग पर पर्यावरण संरक्षण अधिनियम की धारा 15 के तहत दंड देने का अधिकार सिर्फ न्यायलय को प्राप्त है, जिसके तहत न्यायलय 3 से 5 साल की सजा या रुपए एक लाख जुर्माना अथवा दोनों, दोषी पर अधिरोपित कर सकता है. प्रावधानों के तहत ऐसे प्रकरणों में दोषी को जमानत भी नहीं मिल सकती परंतु प्रदेश में नगरी निकायों द्वारा नगद पेनल्टी लगाकर दोषियों को छोड़ दिया जाता था इस कारण से याचिका कर्ता ने जनहित याचिका दायर की थी कि दोषियों के खिलाफ सिर्फ न्यायालय में परिवाद दायर किया जावे.