अजय नीमा, उज्जैन। मध्य प्रदेश में बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन में गुरुवार रात को सुंदर नजारा देखने को मिलेगा। हजारों श्रद्धालु इस नजारे के साक्षी बनें। उज्जैन में बैकुंठ चतुर्दशी पर सृष्टि की सत्ता हस्तांतरण का अद्भुत नजारा दिखा। रात करीब 12 बजे भगवान महाकाल की सवारी निकाली गई, जो गोपाल मंदिर पहुंची। यहां भगवान महाकाल ने सृष्टि का भार भगवान विष्णु को सौंपा।

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यह परंपरा हरि-हर की माला बदलकर निभाई गई। इसे हरि-हर मिलन भी कहते हैं। पौराणिक मान्यता के अनुसार, देवशयनी एकादशी से देवउठनी एकादशी तक जगत के पालनकर्ता भगवान विष्णु राजा बलि के यहां पाताल लोक में विश्राम करने जाते हैं, इसलिए चार महीने तक संपूर्ण सृष्टि के पालन का भार भगवान शिव के पास होता है।

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क्या है हरि-हर मिलन

गोपाल मंदिर के पुजारी मधुर शर्मा ने बताया कि, बाबा महाकाल की सवारी कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी भगवान विष्णु (हरि) और शिवजी (हर) के मिलन का प्रतीक है। महाकालेश्वर मंदिर के सभा मंडप से रात 12 बजे निकलने वाली बाबा महाकाल की सवारी, महाकाल चौराहा, गुदरी बाजार, पटनी बाजार होते हुए गोपाल मंदिर पहुंची। सवारी में ढोल-नगाड़ों के साथ आतिशबाजी की गयी.कई जगह स्वागत हुआ। गोपाल मंदिर पहुंचने पर सवारी मंदिर के अंदर लाई गई। यहां भगवान शिव, विष्णु जी के सामने आसीन हुए।

आतिशबाजी करने वालो पर पैनी नजर

साल में एक बार बाबा महाकाल और गोपाल जी के बीच होने वाले हरिहर मिलन दर्शन के लिए बड़ी संख्या में दर्शनार्थी शाम से ही सवारी मार्ग और गोपाल मंदिर पहुंच गए थे। भीड़ नियंत्रण के लिए पुलिस प्रशासन ने सवारी मार्ग पर बेरिकेटिंग कर दी थी। इस दौरान कुछ उत्साही लोग हिंगोट और पटाखे जलाकर फेंकते रहे। जबकि इन पर अंकुश लगाने के लिए विशेष पुलिसकर्मी तैनात किए गए थे। सवारी के दौरान हर साल पटाखों से वछूट पुट आगजनी होती है और लोग भी घायल हो जाते है इसीलिए आतिशबाजी रोकने के लिए पुलिस को कई जगह हल्का बल भी प्रयोग करना पड़ा।

यहां से से निकली सवारी

बाबा महाकाल की सवारी रात करीब 11 बजे मंदिर प्रांगण से शुरू होकर महाकाल घाटी, गुदरी चौराहा, पटनी बाजार होकर श्री द्वारकाधीश गोपाल मंदिर पहुंची। यहां भगवान विष्णु का भार सौंपने के दौरान की गई पूजा के बाद रात करीब 2 बजे सवारी गोपाल मंदिर से पटनी बाजार गुदरी चौराहा, महाकाल घाटी होकर मुख्य द्वार से मंदिर पहुंची। इस दौरान कलेक्टर नीरज सिंह, एसपी प्रदीप शर्मा, अधीनस्थों के साथ व्यवस्था संभाले हुए थे

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