सोमवार से मणिपुर के जिरीबाम से लापता 6 लोगों में से 3 के शव शुक्रवार शाम असम-मणिपुर के बार्डर पर स्थित जिरीमुख में मिले हैं. इन लोगों को कुछ दिन पहले जिरीबाम के कैंप से अगवा किया गया था. शवों को पोस्टमार्टम के लिए सिलचर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल भेजा गया था, जहां वे जिरी नदी में बहते हुए मिले हैं. मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, पुलिस ने शवों को जिरी नदी में तैरते देखा था, जिसके बाद असम राइफल्स के जवानों ने उन्हें निकाला. परिवार के सदस्यों ने अभी तक शवों को पहचान नहीं किया है, लेकिन उनके विवरण लापता हुए 6 लोगों में से 3 से मेल खाते हैं.

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6 लोगों का हुआ था अपहरण

कुछ दिन पहले, सुरक्षाबलों ने मणिपुर में एक बड़ी कार्रवाई में 11 हथियारबंद कुकी उग्रवादियों को मार डाला था, जो जिरीबाम जिले के बोरोबेकरा में एक पुलिस स्टेशन पर हमला करने आए थे. सीआरपीएफ ने भी जवाबी कार्रवाई की, जिसमें कम से कम 11 कुकी उग्रवादी मारे गए. हमले के बाद छह लोग, तीन महिलाएं और तीन बच्चे, जिरीबाम में कुकी उग्रवादियों ने अपहरण किया था. इन छह में से तीन के शव अब जिरीमुख में मिले हैं.

फिर से मणिपुर के 5 जिलों के 6 थानों में AFSPA आर्म्ड फोर्सेस स्पेशल प्रोटेक्शन एक्ट को लागू किया गया है. 31  मार्च 2025 तक यह लागू रहेगा. गुरुवार को गृह मंत्रालय ने इसकी घोषणा की.

मंत्रालय ने कहा कि यह निर्णय इन इलाकों में सुरक्षा स्थिति में गिरावट के कारण किया गया था. AFSPA लागू होने से सेना और अर्धसैनिक बल इन क्षेत्रों में किसी को भी गिरफ्तार कर सकते हैं. गृह मंत्रालय ने सेकमई और लमसांग (इम्फाल पश्चिम), लाम्लाई (इम्फाल पूर्व), जिरिबाम (जिरिबाम), लेइमाखोंग (कांगपोकपी) और मोइरंग (बिष्णुपुर) थानों को शामिल किया है.

कैसे मणिपुर में हुई हिंसा की शुरुआत?

पिछले साल 3 मई को मणिपुर में हिंसा की शुरुआत हुई, जब कुकी-जो जनजाति समुदाय के एक प्रदर्शन में आगजनी और तोड़फोड़ की गई. मैतेई समुदाय ने मणिपुर हाई कोर्ट में एक याचिका दाखिल की थी जिसमे वे जनजाति का दर्जा पाना चाहते थे.

मैतेई समुदाय ने कहा कि उन्हें पहले जनजाति का दर्जा मिला था जब मणिपुर 1949 में भारत में शामिल हुआ था. मणिपुर हाई कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई के बाद राज्य सरकार से कहा कि मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए.

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