हेमंत शर्मा, इंदौर। मध्यप्रदेश के उज्जैन में 2028 में होने वाले सिंहस्थ महाकुंभ में लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ को सुव्यवस्थित तरीके से संभालने के लिए प्रशासन ने अभी से तैयारी शुरू कर दी है। महाकाल मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं के दर्शन और शहर की ट्रैफिक व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए विशेष रोडमैप तैयार किया जाएगा। यह योजना इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (IIM) इंदौर की टीम के मार्गदर्शन में तैयार होगी।

IIM इंदौर करेगा मैनेजमेंट प्लान तैयार

IIM इंदौर के विशेषज्ञों की टीम, जिसमें निदेशक हिमांशु राय, प्रोफेसर हंस मिश्रा, प्रोफेसर सौरभ चंद्र और प्रोफेसर अमित वत्स शामिल हैं, ने महाकाल मंदिर क्षेत्र का निरीक्षण किया। उन्होंने दर्शन व्यवस्था, भीड़ नियंत्रण और ट्रैफिक के सुचारू संचालन के लिए आवश्यक पहलुओं का गहन अध्ययन किया।

दीर्घकालिक योजना पर जोर

टीम ने स्पष्ट किया कि 2028 सिंहस्थ महाकुंभ को ध्यान में रखते हुए, एक दीर्घकालिक योजना बनाई जाएगी। यह योजना 15-20 वर्षों तक की संभावनाओं को कवर करेगी और महाकाल मंदिर समेत पूरे उज्जैन शहर में क्राउड और ट्रैफिक मैनेजमेंट को सुचारू बनाएगी।

रोडमैप में शामिल होंगे ये मुख्य बिंदु: 1 श्रद्धालुओं की एंट्री और एग्जिट व्यवस्था: महाकाल मंदिर में दर्शन के लिए समय कम करने और भीड़ को नियंत्रित करने के लिए नई तकनीकों का उपयोग किया जाएगा। ट्रैफिक प्रबंधन हरी फाटक और अन्य मुख्य मार्गों पर जाम की समस्या को हल करने के लिए वैकल्पिक रास्तों और आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया जाएगा। पांच ई मॉडल: टीम शिक्षा, प्रवर्तन, इंजीनियरिंग, आपातकालीन सेवाओं और पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए एक विस्तृत योजना बनाएगी। महाशिवरात्रि, श्रावण माह और सिंहस्थ महाकुंभ जैसे अवसरों पर भीड़ नियंत्रण के विशेष उपाय लागू किए जाएंगे।

तीन से चार महीनों में तैयार होगा रोडमैप

IIM इंदौर की टीम ने बताया कि वे अगले तीन से चार महीनों में मंदिर और शहर के लिए विस्तृत योजना बनाकर प्रशासन को सौंप देंगे। यह योजना चरणबद्ध तरीके से लागू होगी, जिससे श्रद्धालुओं को दर्शन में आसानी होगी और ट्रैफिक जाम की समस्या खत्म होगी।IIM इंदौर के निदेशक हिमांशु राय ने कहा,”हमने मंदिर क्षेत्र और शहर की मौजूदा स्थिति का विश्लेषण किया है। हमारा उद्देश्य 2028 सिंहस्थ महाकुंभ को सफल बनाने के लिए एक ऐसा मॉडल तैयार करना है जो दीर्घकालिक रूप से प्रभावी हो।”यह पहल न केवल सिंहस्थ महाकुंभ की तैयारी को सुगम बनाएगी बल्कि उज्जैन को आने वाले वर्षों में धार्मिक पर्यटन के लिए और अधिक आकर्षक बनाएगी।

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