कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे द्वारा अनुच्छेद 370 की पुनर्स्थापना की मांग से पलटने के बाद जम्मू और कश्मीर कांग्रेस प्रमुख तारिक हामिद कर्र ने भी इस मुद्दे पर इसी तरह का रुख अपनाया है. उन्होंने कहा विधानसभा द्वारा पारित प्रस्ताव में धारा 370 की बहाली की कोई मांग नहीं उठाई और न ही कहीं और इसका उल्लेख किया . कांग्रेस के इस यूटर्न पर सत्तारूढ़ नेशनल कॉन्फ्रेंस ने हमला बोला है.
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नेशनल कांफ्रेंस (NC) के नेता और सांसद अगा रुहुल्ला ने कांग्रेस पर तीखा हमला करते हुए कहा कि कोई भी यह अधिकार नहीं रखता कि वह विधानसभा द्वारा पारित प्रस्ताव को गलत तरीके से प्रस्तुत करे. उन्होंने कहा कि कांग्रेस को अनुच्छेद 370 की बहाली पर अपनी राय स्पष्ट करनी चाहिए.
कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस का रुख
जम्मू-कश्मीर कांग्रेस के अध्यक्ष तारिक हामिद कर्र ने कहा, “अनुच्छेद 370 की बहाली की मांग न तो पिछले हफ्ते जम्मू-कश्मीर विधानसभा द्वारा पारित प्रस्ताव में उठाई गई थी और न ही कहीं और इसका जिक्र किया गया है.” उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस ने पहले से ही इस मुद्दे पर अपनी राय व्यक्त की है. कर्र ने कहा. “हम पहले ही कह चुके हैं कि सुप्रीम कोर्ट के अनुच्छेद 370 पर फैसले के बाद अब केवल पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग बाकी है,”
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विधानसभा प्रस्ताव और BJP की आलोचना
पिछले सप्ताह जम्मू और कश्मीर विधानसभा ने विशेष दर्जा और संवैधानिक गारंटियों की बहाली के लिए एक प्रस्ताव पारित किया, जो भाजपा के विरोध के बावजूद ध्वनि मत से मंजूर हुआ और कांग्रेस के सभी छह विधायक ने इसके पक्ष में मतदान किया.
कर्र ने कहा, “हम पहले ही कह चुके हैं कि SC के फैसले के बाद जो सबसे बड़ी मांग होनी चाहिए, वह राज्य का दर्जा बहाल करना है. BJP इस मुद्दे को राजनीतिक लाभ के लिए तोड़-मरोड़ कर पेश कर रही है.”
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कांग्रेस का SC के फैसले पर रुख
कर्र ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कहा यह जम्मू और कश्मीर के लोगों की लोकतांत्रिक अभिव्यक्ति का पहला कदम है और केंद्र सरकार को किसी भी तरह से राज्य की जनसंख्या के अधिकारों और सुरक्षा से इनकार नहीं करना चाहिए. नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस ने मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ा था. कांग्रेस ने कहा कि वह उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली सरकार में शामिल नहीं होगी जब तक राज्य का दर्जा बहाल नहीं होता.
कांग्रेस की अंदरूनी स्थिति
कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि पार्टी ने उमर अब्दुल्ला सरकार में शामिल होने का फैसला नहीं किया क्योंकि उसे डर था कि भाजपा नेशनल कांफ्रेंस के साथ गठबंधन की घटना को महाराष्ट्र और अन्य राज्यों में होने वाले आगामी विधानसभा चुनावों में अपने लाभ के लिए उपयोग कर सकती है, क्योंकि कांग्रेस अनुच्छेद 370 को फिर से लागू करने की मांग कर रही है.
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