Aghan Maas 2024: 16 नवंबर से अगहन मास की शुरुआत हो गई है, जो 15 दिसंबर तक रहेगा. इस महीने को विशेष रूप से सुख-समृद्धि और आशीर्वाद प्राप्ति का समय माना जाता है. अगहन मास में शंख और देवी लक्ष्मी की पूजा करने की परंपरा है, साथ ही सूर्य देव को जल अर्पित करने से भी सभी दोषों से मुक्ति मिलती है. माना जाता है कि इस महीने किए गए स्नान, व्रत, दान और पूजा-पाठ से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है.

अगहन मास भगवान श्रीकृष्ण का प्रिय महीना है, और इस दौरान यमुना नदी में स्नान करने का विशेष महत्व है. ग्रंथों के अनुसार, यमुना में स्नान करने से सभी दोष समाप्त हो जाते हैं. इस महीने के अंतिम दिन, यानी पूर्णिमा को चंद्रमा मृगशिरा नक्षत्र में रहता है, इसलिए इसे मार्गशीर्ष कहा गया है.

उत्पन्ना एकादशी और गीता जयंती

अगहन मास की दो विशेष एकादशी होती हैं. कृष्ण पक्ष की ग्यारहवीं तिथि को उत्पन्ना एकादशी मनाई जाती है, जिसे पौराणिक कथा के अनुसार भगवान विष्णु से एकादशी का प्रकट होना बताया गया है. वहीं, शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोक्ष देने वाली एकादशी माना जाता है. पुराणों के अनुसार, इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था, और इसलिए इस दिन गीता जयंती भी मनाई जाती है.

Aghan Maas 2024: शंख और लक्ष्मी पूजा का महत्व

अगहन मास में शंख पूजा का विशेष महत्व है. इस महीने में किसी भी शंख को श्री कृष्ण के पांचजन्य शंख के रूप में पूजा जाता है. इससे श्री कृष्ण प्रसन्न होते हैं और घर में सुख-समृद्धि आती है. इसके अलावा, देवी लक्ष्मी की पूजा भी इस महीने में की जाती है, क्योंकि शंख को देवी लक्ष्मी का भाई माना जाता है. शंख और लक्ष्मी पूजा करने से धन और समृद्धि में वृद्धि होती है. इस महीने हर दिन श्री कृष्ण की बाल स्वरूप में पूजा करने का भी महत्व है.

सूर्यदेव की पूजा और विशेष महत्व

अगहन मास में सूर्यदेव की पूजा का भी खास महत्व है. ग्रंथों में उल्लेख है कि इस महीने में रविवार को उगते सूरज को जल अर्पित करने से सभी दोष और पाप समाप्त हो जाते हैं. इसके अलावा, इस महीने में रविवार को नमक का व्रत करने की परंपरा है, जो कुंडली में ग्रहों और नक्षत्रों के अशुभ फल को कम करने में मदद करता है.

अगहन मास में की गई पूजा और व्रत से जीवन में सुख, समृद्धि और पुण्य की प्राप्ति होती है. इस महीने का पालन करते हुए धार्मिक कार्यों से जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आएगा.