कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। मध्य के ग्वालियर में 6 साल की मासूम बच्ची के बहुचर्चित और सनसनीखेज अपहरण हत्या और दुष्कर्म मामले में फांसी की सजा पाए युवक जितेंद्र कुशवाहा को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। अब उसे फांसी के फंदे पर नहीं लटकाया जाएगा, बल्कि उसे अपने जीवन के 20 साल जेल में गुजारने होंगे। सुप्रीम कोर्ट ने उसकी फांसी की सजा की अपील पर सुनवाई करते हुए 20 साल के कठोर सश्रम कारावास की सजा में परिवर्तन कर दिया है।

दुष्कर्म के बाद कर दी थी हत्या 

दरअसल दोषी जितेंद्र कुशवाह ने कंपू थाना क्षेत्र के आमखो पहाड़ी के पास भिंड से शादी समारोह में शामिल होने अपने परिजनों के साथ आई नाबालिग लड़की का न सिर्फ अपहरण किया। बल्कि उसे एक सुनसान स्थान पर ले जाकर दुष्कृत्य किया और बाद में सबूत मिटाने की गरज से उसे मार डाला। घटना के सीसीटीवी फुटेज भी पुलिस को मिले थे। जिसमें जितेंद्र के हाथ पकड़ कर लड़की जाती हुई दिखाई दी थी। खास बात यह है कि जुलाई 2018 में हुई इस वारदात की संवेदनशीलता को देखते हुए जिला एवं सत्र न्यायालय ने सिर्फ 13 दिन में सुनवाई पूरी करके जितेंद्र कुशवाह को फांसी की सजा सुनाई थी। यह फैसला 27 जुलाई 2018 को दिया गया था। इसमें लगभग तीन दर्जन लोगों की गवाही हुई थी। 

आरोपी ने सजा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में की थी अपील  

अपनी सजा के खिलाफ जितेंद्र ने हाई कोर्ट में अपील की थी जहां उसकी फांसी की सजा बरकरार रखी गई। इसके बाद जितेंद्र ने अपनी सजा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि जितेंद्र का पूर्व का कोई आपराधिक इतिहास नहीं है। इसलिए उसमें सुधार की गुंजाइश से इंकार नहीं किया जा सकता है। घटना के समय जितेंद्र की उम्र 24 साल थी वह अपनी गिरफ्तारी के बाद से अभी तक सेंट्रल जेल ग्वालियर में बंद है और उसकी उम्र 30 साल हो चुकी है। इससे पहले बचाव पक्ष की ओर से बताया गया था कि अभियोजन जितेंद्र कुशवाह की पहचान करने में सफल नहीं रहा है। डीएनए सैंपल की रिपोर्ट भी भरोसे लायक नहीं है। सुनवाई के बाद उच्चतम न्यायालय ने जितेंद्र कुशवाह की फांसी की सजा को अब 20 साल के कठोर कारावास में तब्दील कर दिया है। आदेश में यह भी कहा गया है कि दोषी जितेंद्र किसी भी प्रकार की छूट के लिए हकदार नहीं होगा।

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