विक्रम मिश्र, लखनऊ. यूपी में अगर किसी के पैसा है तो सिस्टम को खरीदना काफी आसान है. कोई भी अवैध काम अधिकारियों से सेटिंग करके किया जा सकता है. ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि राजधानी से ऐसा ही एक मामला सामने आय़ा है. जहां बिल्डर शादाब मलिक ने LDA जोन-3 के अधिकारियों को सेट करके अवैध काम को अंजाम दिया है. बिल्डिंग आगे से सील होने के बाद भी पीछे से निर्माण कार्य बिल्डर ने कराया लिया. फिर भी अधिकारियों को भनक तक नहीं लगी. ऐसे में सवाल खड़ा हो रहा है कि इतनी बड़ी बिल्डिंग अधिकारियों को दिखी नहीं या देखने की कोशिश नहीं की?

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बता दें कि सीतापुर रोड पर ताड़ी खाना भगवती विहार में बिल्डर शादाब की बिल्डिंग बनी है. जिसे अवैध कॉमर्शियल बिल्डिंग बताकर सील किया गया था. बिल्डिंग का नक्शा पास नहीं है. लेकिन शादाब के हौसले इतने बुलंद थे कि सील को तोड़कर धड़ल्ले से निर्माण कार्य कराया. इसके बाद भी बिल्डर के खिलाफ एफआईआऱ नहीं कराई गई. जिसको लेकर LDA उपाध्यक्ष प्रथमेश कुमार ने नोटिस भी इशू किया था.

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दबंग बिल्डर शादाब मलिक ने एक बार नहीं बल्कि 2 बार एलडीए का सील तोड़ने की हिमाकत की. लेकिन मजाल है कोई उसके खिलाफ कार्रवाई कर दे. अब पूरे मामले में जोनल अधिकारी माधवेश कुमार की कार्यशैली पर सवाल खड़े हो रहे हैं. साथ ही AE संजय शुक्ला, JE सतवीर सिंह की बिल्डर से मिलीभगत होने की बात भी सामने आ रही है. अब सवाल खड़ा हो रहा है कि आखिर कार्रवाई क्यों नहीं गई. कहीं बिल्डर ने अधिकारियों को कमीशन तो नहीं खिलाया, जिसकी वजह से उस मेहरबानी बरसाई गई?