रायपुर. प्रकृति की ममतामयी छाँव में दो पल सुकून के गुज़ारने की इच्छा रखने वालों के लिए छत्तीसगढ़ किसी स्वर्ग से कम नहीं.. प्रकृति की गोद में बसे छत्तीसगढ़ में पर्यटन के विकास की भरपूर संभावनाएं हैं.. इन अनंत संभावनाओं पर राज्य के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की पहली और सार्थक नज़र पड़ी है.. सीएम विष्णुदेव साय के दिशा निर्देश पर प्राकृतिक सुंदरता से लैस छत्तीसगढ़ राज्य के बहुत से जिले पर्यटन की दृष्टि से संवरने लगे हैं.
छत्तीसगढ़ का पर्यटन परिदृश्य तेज़ी से बदल रहा है और इसका श्रेय मुख्यमंत्री विष्णु देव साय को जाता है, जिनकी पहल से प्रदेश में नवाचार किया जा रहा है. प्रदेश के बहुत से हिस्से ऐसे हैं, जहां व्यापक स्तर पर एडवेंचर और इको-टूरिज्म (Eco-Tourism ) को भी बढ़ावा दिया जा रहा है.
इको-टूरिज्म उन देशों के लिए बहुत ज़रूरी हो जाता है, जो विकासशील हैं और जहां हरियाली को बनाए रखना जरूरी हो जाता है. विविध वनस्पतियों और वन्य जीवों से भरे छत्तीसगढ़ भारत के सबसे हरे-भरे राज्यों में से एक है. छत्तीसगढ़ राज्य में कुछ दुर्लभ वन्यजीव और
तरह-तरह के प्रजातियों की पक्षियों से भरे कई राष्ट्रीय उद्यान और वन्यजीव अभयारण्य भी हैं. विविधताओं से भरा छत्तीसगढ़ प्रकृति प्रेमियों, वन्यजीव प्रेमियों, आदिवासी जीवन शैली को समझने और कुदरत को नजदीक से जानने की इच्छा रखने वाले उत्साही पर्यटकों के लिए छुट्टी बिताने का शानदार स्थान बन गया है. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने विश्व पर्यटन दिवस पर छत्तीसगढ़ टूरिस्म बोर्ड और छत्तीसगढ़ ट्रेवल ट्रेड एसोसिएशन के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित सेंट्रल इंडिया कनेक्ट मार्केटप्लेस (“Central India Connect Market Place- 2024”) कार्यक्रम में शामिल होकर छत्तीसगढ़ में पर्यटन को बढ़ावा देने और इस क्षेत्र में अच्छा कार्य करने वाले लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए हर साल राज्योत्सव के अवसर पर पुरस्कार देने की घोषणा की है. उनका यह निर्णय पर्यावरण को संरक्षित करने वालों का उत्साह बढ़ाने वाला है. उनके इस घोषणा से राज्य में पर्यटन और ट्रैवल से जुड़ी कंपनियों, संस्थाओं और व्यक्तियों के लिए बड़े अवसर खुल गए हैं. इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री साय ने कहा था कि “देश के पर्यटन विभाग का सूत्रवाक्य अतिथि देवो भवः है. इस कार्यक्रम में जुटे सभी अतिथियों का मैं इसी भाव से अभिनंदन करता हूं. आप सभी ने इस कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए अपने सुंदर विचार रखे. छत्तीसगढ़ में पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देने के लिए आए आपके उपयोगी सुझावों पर विचार कर
हम इन्हें अमल में लाएंगे…
सीएम साय ने इस मौके पर कहा कि यह हमारे लिए बहुत गौरव की बात है कि भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय ने इस साल देश के सर्वश्रेष्ठ पर्यटक गांवों की सूची में हमारे बस्तर के डूडमारास गांव को एडवेंचर टूरिज्म और चित्रकोट गांव को कम्युनिटी बेस्ट गांव की सूची में पहला स्थान दिया है. सर्वश्रेष्ठ पर्यटन गांव की सूची में सरोदा दादर को जगह मिली है. विश्व पर्यटन संगठन द्वारा इस वर्ष की थीम, पर्यटन एवं शांति निर्धारित की गई है. वैश्विक स्तर पर संघर्ष और विभाजन के माहौल में इस थीम की बहुत प्रासंगिकता है. शांति के साथ सतत विकास की दिशा में सामाजिक और सांस्कृतिक समझ को बढ़ावा देने में पर्यटन की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता. उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया में सतत एवं रिस्पांसिबल टूरिज्म पर जोर दिया जा रहा है ताकि हम पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी निरंतर ठोस कदम बढ़ा सकें. मुख्यमंत्री ने कहा कि बस्तर में टूरिज्म बढ़ेगा तो प्राकृतिक सुंदरता को भी सहेजने में मदद मिलेगी, इनसे हजारों लोगों के आजीविका का अवसर भी पैदा होगा”. हर वर्ष राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर पर्यटन क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वालों को सम्मानित किए जाने की घोषणा के बाद अब टूरिज्म और ट्रैवल कंपनियों की नजरें छत्तीसगढ़ पर होंगी, क्योंकि बेहतर प्रदर्शन पर उन्हें राज्य सरकार की ओर से विशेष पुरस्कार पाने का मौका मिलेगा.. मुख्यमंत्री की यह घोषणा राज्य के पर्यटन उद्योग को नई ऊंचाइयों तक ले जाने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है क्योंकि इस कार्यक्रम में मध्य भारत के पर्यटन और हॉस्पिटैलिटी उद्योग से जुड़े कई प्रमुख प्रतिनिधि उपस्थित थे.
व्यापक स्तर पर एडवेंचर और इको-टूरिज्म को बढ़ावा देने वाले मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की पहल पर छत्तीसगढ़ का जशपुर जिला भी पर्यटन के मान से राष्ट्रीय स्तर पर पहचाना जाने लगा है. जशपुर के घने जंगल, पर्वतीय क्षेत्र, और आदिवासी संस्कृति को देखने के लिए अब दूर-दूर से सैलानी आने लगे हैं. मन को सुकून और ज़ेहन को सम्पूर्ण शांति देने वाले जशपुर को पर्यटकों के लिए तैयार करने में राज्य के मुख्यमंत्री की दूरदर्शिता और जिला प्रशासन की सहभागिता मुख्य रूप से ज़िम्मेदार हैं. देश देखा में होने वाले 4 दिनों के जम्बूरी उत्सव ने पर्यटकों को खूब लुभाया. इस उत्सव में बड़ी संख्या में युवाओं ने न सिर्फ़ पर्यटन का आनंद लिया बल्कि नजदीक से जशपुर की स्थानीय संस्कृति, परम्परा और कर्मा नृत्य को जाना.
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने छत्तीसगढ़ की प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक धरोहर को विश्व स्तर पर पहचान दिलाने, राज्य को एक ऐसा पर्यटन मॉडल बनाने जो न केवल पर्यटकों के लिए रोमांचक हो, बल्कि पर्यावरणीय संतुलन को भी बनाए रखने वाला हो, पर्यटन को प्रकृति के करीब पहुंचाने, राज्य के घने जंगल, पहाड़ियाँ, जल संसाधनों और जैव विविधता जैसे प्राकृतिक संपदाओं को पर्यटकों के अनुभव का हिस्सा बनाने और स्थानीय समुदाय को रोजगार दिलाने के उद्देश्य से इको-टूरिज्म को बढ़ावा दिया है. बर्ड वॉचिंग, प्राकृतिक स्थलों का भ्रमण,रॉक क्लाइम्बिंग, ट्रेकिंग, नदी के किनारे कैंपिंग,स्थानीय व्यंजनों का स्वाद, आदिवासी कला-शिल्प वर्कशॉप, और पारंपरिक नृत्य-संगीत जैसी पर्यटकों के रुचि की बहुत सी गतिविधियों को भी इको-टूरिज्म में स्थान दिया गया है.
आज जशपुर में स्थानीय गाइड्स, शिल्पकारों, हस्तशिल्पियों और पारंपरिक वस्तुओं के उत्पादकों के साथ जुड़कर न केवल अपने और स्थानीय कलाकारों के परिवारों का भरण पोषण कर रहे हैं बल्कि जशपुर की सांस्कृतिक धरोहर को भी संरक्षित कर रहे हैं. इनका उद्देश्य केवल पर्यटकों को आकर्षित करना नहीं है, बल्कि स्थानीय कला और संस्कृति को जीवित रखना भी है. मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में जिस तरह से जशपुर में इको-टूरिज्म पर काम चल रहा है उसे देखते हुए निर्विवादित रूप से ये कहा जा सकता है कि आने वाले पाँच वर्षों में जशपुर को छत्तीसगढ़ के प्रमुख पर्यटन स्थलों में गिना जाएगा. मुख्यमंत्री के निर्देश पर ऐसी व्यवस्था बना कर दी जा रही है कि इको-टूरिज्म में सैलानियों का मनोरंजन भी इको-फ्रेंडली ही हो.
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के प्रयास से धमतरी जिले का खूबसूरत जबर्रा जंगल औषधीय पौधों, अनूठी प्राकृतिक छटा के अलावा ट्रेकिंग और नेचर ट्रेल वॉक के लिए भी एक उभरता हुआ पर्यटन स्थल बन गया है.. छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले में स्थित सीतानदी वन्यजीव अभयारण्य छत्तीसगढ़ के सबसे प्रसिद्ध और महत्वपूर्ण ईकोटूरिज्म स्थलों में से एक बन रहा है.
यहाँ पर्यटकों के लिए अभयारण्य के पास ही वन गेस्ट हाउस और वन कॉटेज बनाए गए हैं. बस्तर संभाग के कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान, कैलाश गुफा, तीरथगढ़ जलप्रपात, कुटुमसर गुफा, नारायणपाल मंदिर, तामड़ा घुमर, मेन्द्री घूमर जलप्रपात और चित्रधारा जलप्रपात सदा से ही सैलानियों को लुभाने वाला रहा है. छत्तीसगढ़ की विष्णुदेव साय सरकार के प्रयास से यहां भी ईकोटूरिज्म विकसित की गई है. ये स्थान भी साल भर पर्यटकों से भरा होता हैं. वन्यजीवों और विविध वानिकी के अलावा इन क्षेत्रों में पर्यटकों के दिलचस्पी की और भी बहुत सी जगहें हैं जैसे दंडक गुफाएँ, कांगेर धारा, भैमसा धारा वग़ैरह ये सभी आकर्षक पिकनिक स्पॉट हैं. इन्हें भी छत्तीसगढ़ के ईकोटूरिज्म स्थलों में शामिल किया गया है, जहां साल-साल भर पर्यटक आते हैं.. इन पर्यटक स्थलों तक के सभी पहुँच मार्ग शानदार बनाए जा चुके हैं. अब बस्तर के जिला मुख्यालय जगदलपुर से कांगेर घाटी तक आसानी से पहुंचा जा सकता है. हरी-भरी वनस्पतियाँ, अद्वितीय और विविध वन्य जीव, खूबसूरत पहाड़ी श्रृंखला बनाती है. छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में स्थित इंद्रावती राष्ट्रीय उद्यान को वन्य जीव और प्रकृति प्रेमियों के लिए एक जरूरी जगह राज्य के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इस क्षेत्र को भी ईकोटूरिज्म कार्यक्रम में शामिल करके देश भर के पर्यटकों को सौगात दी है.
बिलासपुर जिले में स्थित अचानकमार वन्यजीव अभयारण्य छत्तीसगढ़ का सबसे प्रसिद्ध और महत्वपूर्ण ईकोटूरिज्म स्थलों में से एक है. नवंबर से जून तक का समय इस अभयारण्य में आने के लिए एक आदर्श समय माना गया है. वन गेस्ट हाउस और वन कॉटेज अचानकमार वन्यजीव अभयारण्य में आने वाले पर्यटकों के ठहरने के लिए एक शानदार व्यवस्था है. राज्य की विष्णुदेव साय सरकार ने इस अभयारण्य को पर्यटन की दृष्टि से और भी संवारने का काम किया है.
रायपुर -तुरतुरिया-सिरपुर, बिलासपुर -अचानकमार और जगदलपुर – कांगेर वैली नेशनल पार्क को कवर करते हुए भी एक इको-टूरिज्म परियोजना शुरू की गई है. रायपुर से लगभग 16 किमी दूर स्थित है एक प्रकृति केंद्र नंदन वन, जहां रायपुर से नियमित बस सेवाएं और पर्यटक वाहन उपलब्ध कराए गए हैं. दरअसल इस केंद्र की स्थापना आवारा जानवरों को आश्रय देने के लिए बनाई गई थी, लेकिन आज यह एक महत्वपूर्ण जैविक उद्यान है. बारनवापारा अभयारण्य छत्तीसगढ़ क्षेत्र के सबसे बेहतरीन और महत्वपूर्ण वन्यजीव अभयारण्यों में से एक है और इसे भी राज्य के मुखिया ने प्रदेश का एक सर्वसुविधायुक्त इको टूरिज्म स्थल बनाकर प्रस्तुत किया है. खानपान, आवागमन और रुकने-ठहरने की बेहतरीन व्यवस्था के चलते बारनवापारा अभयारण्य में पूरे-पूरे साल पर्यटकों का तांता लगा रहता है.
प्राकृतिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहरों से समृद्ध छत्तीसगढ़ में वाइल्ड लाइफ टूरिज्म, रूरल टूरिज्म और एडवेंचर टूरिज्म जैसी संभावनाओं के विकास पर काम किया जा रहा है, जिससे राज्य के पर्यटन उद्योग को वैश्विक स्तर पर खड़ा किया जा सके. राज्य के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय सरकार की पहल पर छत्तीसगढ़ भारत का सबसे ज़्यादा पसंद किया जाने वाला इको-टूरिज्म क्षेत्र बनता जा रहा है.