विनोद दुबे, रायपुर। छत्तीसगढ़ का एक ऐसा गांव जहां मौत तांडव कर रही है. यहां हर घर में रहने वाले लोग दहशत में हैं कि कब किस घर से अर्थी बाहर निकल जाए. हम एक ऐसे गांव की बात कर रहे हैं जहां हीरे से सस्ती इंसान की जान हो गई है. हीरा का जिक्र क्यों वो आगे बताएंगे लेकिन जान लीजिये इस गांव का आखिर नाम क्या है. राजधानी रायपुर से 90 किलोमीटर दूर गरियाबंद जिला है.. जिला मुख्यालय से 136 किलोमीटर दूर सुपेबेड़ा गांव है. यही वो गांव है जिसकी पीड़ा हम कहने जा रहे हैं . 1200 की आबादी वाले इस गांव के प्रत्येक परिवार के लोग किडनी बीमारी से ग्रसित हैं. 31 जनवरी 2019 गुरुवार को हुई मौत को मिलाकर यहां मौतों का आंकड़ा 70 पहुंच गया है.
सुपेबेड़ा अकेला ही नहीं इसके आसपास के कई गांवों के लोग भी किडनी की बीमारी से पीड़ित हैं. गोहेकला, सेनमुड़ा, निष्टिगुड़ा और सागौनभाड़ी भी इस बीमारी के चपेट में आ गई है. 2005 से सुपेबेड़ा के लोग किडनी बीमारी की चपेट में हैं. लगातार मौतें होने के बाद यह गांव सुर्खियों में आ गया. सरकार ने जब यहां फैली बीमारियों की वजह ढूंढनी की कोशिश की तो एक वजह हैवी मेटल आया जो की यहां के पानी में पाया गया. जिसके बाद सरकार ने यहां तकरीबन 1 करोड़ की लागत से आर्सेनिक और फ्लोराइड रिमूवल प्लांट लगा कर शुद्ध पेयजल ग्रामीणों तक पहुंचाने की कवायद जरुर की. इसके अलावा गांव में स्वास्थ्य शिविर लगाए गए, पीड़ितों का राजधानी के अंबेडकर अस्पताल में भी इलाज करवाया गया.
सूपेबेड़ा में हो रही मौतों की गूंज विधानसभा में भी गूंजी. विपक्ष ने इस मामले को सदन में जोर शोर से उठाया था. खुद मौजूदा सीएम भूपेश बघेल ने तत्कालीन रमन सरकार को इस मामले में जमकर आड़े हाथ लेते हुए असफल रहने का आरोप भी लगाया था. यही नहीं भूपेश बघेल पिछले साल जून 2018 में सूपेबेड़ा पहुंचे थे और पीड़ितों से मुलाकात भी की थी. पीड़ितों से मुलाकात के बाद बघेल ने तत्कालीन रमन सरकार के ऊपर तीखा हमला भी बोला था. वहीं कांग्रेस ने सुपेबेड़ा को अपने घोषणा पत्र में भी शामिल किया था. अब जबकि सरकार बने डेढ़ महीने का वक्त होने का आया है और मौतों का सिलसिला फिर से चालू हो गया है तो सुपेबेड़ा और वहां के ग्रामीण की नजरें इंतजार कर रही हैं कि कब आएंगे सीएम साहब और कब मौत के इस खौफ से उन्हें मुक्ति दिलाएंगे.
पूर्व में भूपेश बघेल जा चुके हैं सुपेबेड़ा, अब बतौर मुख्यमंत्री आने का ग्रमीणों को इंतजार
यही वजह है कि अब सुपेबेड़ा के ग्रामीण बहुत बेसब्री से अपने मुखिया का आने का इंतजार कर रहे हैं. गांव वालें पूछ रहे हैं कब आओगे बघेल सरकार. लल्लूराम डॉट कॉम से बातचीत में ग्रमीणों ने अपनी पीड़ा बताते हुए कहा कि उन्हें भूपेश सरकार से बड़ी उम्मीदें. क्योंकि भूपेश सरकार ने बीते एक महीने में जिस तरह से काम करके दिखाया है उससे एक भरोसा जगा है. उन्हें लगता जो नरकीय जीवन वे अब तक जीते आ रहे हैं उनसे जल्द ही निजात मिल जाएगा. हम सब इसी इंतजार में हैं कि जिस तरह से बतौर प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए भूपेश बघेल हमारे बीच पहुँचे थे अब बतौर मुख्यमंत्री भी वे हमारे बीच पहुँचकर हमारी पीड़ा को, सुपाबेड़ा की पीड़ा को हरेंगे.