Manipur Government : मणिपुर में फिर मचे बवाल के बीच कॉनराड संगमा की अगुवाई वाली नेशनल पीपुल्स पार्टी (NPP) ने भाजपा के नेतृत्व वाली मणिपुर सरकार से समर्थन वापस ले लिया है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को पत्र लिखकर एनपीपी ने कहा है कि मणिपुर सरकार हिंसा को नियंत्रित करने में विफल है। मौजूदा स्थिति के मद्देनजर नेशनल पीपुल्स पार्टी ने तत्काल प्रभाव से मणिपुर सरकार से समर्थन वापस लेने का निर्णय लिया है। ऐसे में सवाल है कि एन बीरेन सिंह सरकार खतरे में आ गई? इसका जवाब नहीं है। अगर, 2022 विधानसभा चुनाव के नतीजे देखें तो बीजेपी ने 32, कांग्रेस ने 5, जदयू ने 6, नागा पीपुल्स फ्रंट ने 5 और कॉनराड संगमा की नेशनल पीपुल्स पार्टी ने 7 सीटें जीती थीं। कुकी पीपुल्स एलायंस ने 2, जबकि 3 सीटें निर्दलीय प्रत्याशी जीते थे।

अब भी बहुमत के पार आंकड़ा
60 सदस्यीय मणिपुर विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 31 है। बीजेपी के पास अपने 32 विधायक हैं। 2022 विधानसभा चुनाव के कुछ समय बाद जेडीयू के 6 में से 5 विधायक औपचारिक रूप से बीजेपी में शामिल हो गए। इससे विधानसभा में बीजेपी सदस्यों की संख्या 37 हो गई। ऐसे में मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के पास अपने बूते बहुमत है। एनपीपी के 7 विधायकों के समर्थन वापस लेने के बाद भी सरकार अस्थिर नहीं होगी।

मैतेई समुदाय के लोगों की हत्या के बाद बवाल
बता दें, एक बार फिर से हिंसा भड़कने की वजह मैतेई समुदाय से लापता लोगों के शव मिलना है। दअसल, 11 नवंबर की हिंसा के बाद एक परिवार के छह लोग जिरीबाम के बोरोबेक्रा से लापता हो गए थे। जून में हिंसा भड़कने के बाद ये लोग राहत शिविर में रह रहे थे। मैतेई समूह का आरोप है कि उनका अपहरण हथियारबंद हमार लोगों ने किया था। उन्होंने 11 नवंबर की सुबह बोरोब्रेका पुलिस स्टेशन पर हमला किया था। उस वक्त सीआरपीएफ ने 11 कुकी उग्रवादियों को ढेर किया था। मुठभेड़ के बाद उग्रवादियों ने राहत शिविर से 6 लोगों को अगवा किया था। 15 नवंबर को मणिपुर-असम सीमा पर जिरी और बराक नदियों के संगम के पास से महिला और तीन बच्चों के शव मिले। आज सुबह अपहरण किए गए अगवा एक और महिला का शव नदी में उतराता मिला।

हत्याकांड के जिम्मेदारों को पकड़ने की मांग
इससे इंफाल घाटी में मैतेई समुदाय के लोगों में रोष है। उन्होंने 16 नवंबर को प्रदर्शन शुरू किया था। साथ ही सरकार को 24 घंटे में अपहरण और हत्याकांड के लिए जिम्मेदार उग्रवादियों को पकड़ने का अल्टीमेटम दिया। उग्र लोगों ने इंफाल घाटी में विधायकों और मंत्रियों के आवासों पर हमला किया। इतना ही नहीं मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के आवास पर भी हमला की कोशिश की।
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