उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित पवित्र बद्रीनाथ धाम के कपाट रविवार रात विधि-विधान के साथ शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए. इस धार्मिक अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु और मंदिर के हक-हकूकधारी उपस्थित रहे. इसके बाद अब श्री उद्धवजी, श्री कुबेर जी एवं रावल जी सहित जगद्गुरु आदि शंकराचार्य जी की गद्दी योग बदरी पांडुकेश्वर प्रस्थान करेंगी.

जानकारी के मुताबिक श्री उद्धव जी एवं कुबेर जी शीतकाल के लिए आज पांडुकेश्वर प्रवास करेंगे. इसके बाद 19 नवंबर को जगद्गुरु आदि शंकराचार्य जी की गद्दी रावल धर्माधिकारी वेदपाठी सहित श्री नृसिंह मंदिर जोशीमठ प्रस्थान करेगी. इसके बाद योग बदरी पांडुकेश्वर तथा श्री नृसिंह मंदिर जोशीमठ में शीतकालीन पूजा भी शुरू हो जाएंगी.

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10 हजार श्रद्धालुओं ने किए दर्शन

बता दें कि विश्व प्रसिद्ध श्री बद्रीनाथ धाम के कपाट रविवार को सेना के बैंड की भक्तिमय धुनों और जय बद्रीविशाल के उदघोष के साथ विधि-विधान से रात्रि 9 बजकर 07 मिनट पर शीतकाल के लिए बंद हो गए. धाम की यात्रा बंद होने के साथ ही उत्तराखण्ड की इस बार की चार धाम यात्रा भी विधिवत संपन्न हो गई है. मंदिर के कपाट बंद होने के मौके पर करीब 10 हजार श्रद्धालुओं ने भगवान बद्रीविशाल के दर्शन किए. बद्रीनाथ मंदिर के कपाट बंद करने की प्रक्रिया रविवार शाम शयन आरती के साथ शुरू हुई. मंदिर में रावल अमरनाथ नंबूदरी, धर्माधिकारी राधाकृष्ण थपलियाल, वेदपाठी रविंद्र भट्ट, अमित बंदोलिया ने कपाट बंद करने की प्रक्रियाओं को परंपराओं के अनुसार पूर्ण किया.

गर्भगृह में विराजमान हुईं मां लक्ष्मी

इस दौराम श्री उद्धव जी एवं कुबेर जी के चल विग्रह मंदिर के गर्भ गृह से बाहर लाए गए. जिसके बाद रावल अमरनाथ नंबूदरी ने स्त्री रूप धारण कर मां लक्ष्मी को मंदिर गर्भगृह में विराजममान किया और भगवान बद्रीविशाल को माणा महिला मंगल दल की ओर से बुना गया घृत कंबल ओढ़ाया गया. इन सभी प्रक्रियाओं को सम्पन्न करने के बाद रात्रि 9 बजकर 07 मिनट पर रावल अमरनाथ नंबूदरी ने श्री बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए. बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद होने के मौके पर श्री बद्रीनाथ पुष्प सेवा समिति ऋषिकेश की ओर से मंदिर को 15 कुंतल गेंदे के फूलों से सजाया गया था. वहीं, जहां देर शाम से मंदिर में कपाट बंद करने की धार्मिक परंपराओं के साथ पूजा-अर्चना की गई, वहीं मंदिर के प्रांगण में स्थानीय लोक कलाकारों और महिला मंगल दल बामणी, पांडुकेश्वर ने लोक नृत्य और जागर की प्रस्तुति दी.

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