राकेश चतुर्वेदी, भोपाल। मध्य प्रदेश को टाइगर स्टेट का दर्जा प्राप्त है. लेकिन बाघों की सबसे ज्यादा आबादी वाले राज्य में सबसे अधिक बाघ की मौत यहीं पर हुई है. पिछले 12 साल में सबसे अधिक बाघों ने एमपी में ही दम तोड़ा है. राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) के आंकड़ों में इसका खुलासा हुआ है.
बाघों की सबसे ज्यादा मौत मध्य प्रदेश में
रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल फिर प्रदेश में सबसे अधिक 38 बाघ मध्य प्रदेश की धरती पर दम तोड़ चुके हैं. बाघों की मौत के मामले में महाराष्ट्र दूसरे जबकि कर्नाटक तीसरे नंबर पर है.
हर साल औसत 30 बाघ तोड़ रहे दम
नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी के आंकड़े बता रहे हैं कि 2012 से 2024 तक भारत में सबसे अधिक बाघों की मौत मध्य प्रदेश में हुई हैं. इन 12 साल में कुल 355 बाघों की दहाड़ बंद हो चुकी है. यानी हर साल औसत 30 बाघ दम तोड़ रहे हैं. दूसरे नंबर पर महाराष्ट्र है, जहां पिछले 12 सालों में 261 बाघों की मौत हुई है. 179 बाघों की मौत के साथ कर्नाटक तीसरे जबकि 132 नंबर के साथ उत्तराखंड चौथे नंबर पर है.
इस साल 38 बाघों की मौत
2024 का साल पूरा होने में अभी सवा महीने से अधिक का समय बचा हुआ है और इस साल प्रदेश में 38 बाघों की मौत हो चुकी है. जबकि दूसरे नंबर पर रहे महाराष्ट्र में 19 जबकि कर्नाटक में 11 बाघों की मौत हुई है. उत्तराखंड में 9 बाघों की मौत हुई है.
2023 में बाघों की जनगणना में बरक़रार रहा टाइगर स्टेट का तमगा
आपको बता दें, साल 2023 में जारी हुई बाघों की गणना की रिपोर्ट में प्रदेश का टाइगर स्टेट का तमगा बरकरार रहा है. इस रिपोर्ट में मध्य प्रदेश में 785, कर्नाटक में 653, उत्तराखंड में 560 जबकि महाराष्ट्र में 444 बाघ थे.
चिंतनीय विषय बना बाघों की मौत
बाघों की मौत मध्य प्रदेश में हमेशा सियासत की वजह रही है। टाइगर स्टेट का तमगा रखने वाले एमपी में लगातार बाघों की मौत अब एक चिंतनीय विषय बन गया है. कभी शिकार, हादसा या आपसी लड़ाई में लगातार टाइगर की मौत हुई है. लेकिन फिर भी इस पर लगाम नहीं लग पा रही है. इस बीच प्रदेश में 11 हाथियों की भी मौत हो गई. वन्यजीवों की लगातार मौत पर सियासत तय मानी जा रही है.
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