नीरज उपाध्याय/सारण: डॉ. एन. विजय लक्ष्मी, 1995 बैच की बिहार कैडर की वरिष्ठ आईएएस अधिकारी, एक ऐसी शख्सियत हैं, जिन्होंने प्रशासनिक कार्यों के साथ-साथ अपनी सांस्कृतिक रुचियों को भी बेहतरीन तरीके से जोड़ा है. वर्तमान में वे बिहार के पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग की प्रधान सचिव के रूप में कार्यरत हैं. 

हाल ही में उन्होंने सोनपुर मेले के कला एवं संस्कृति विभाग के मंच पर अपनी नृत्य प्रस्तुति से दर्शकों का दिल जीत लिया. इस अवसर पर उनके पति, वरिष्ठ आईएएस अधिकारी डॉ. एस. सिद्धार्थ, भी उपस्थित थे.

शास्त्रीय नृत्य और संगीत से जुड़ाव

डॉ. विजयलक्ष्मी मूल रूप से आंध्र प्रदेश की रहने वाली हैं, उनका बचपन से ही शास्त्रीय संगीत और नृत्य के प्रति गहरा लगाव था, लेकिन उनके पिता की नौकरी के कारण बार-बार स्थानांतरण होने से वे विधिवत नृत्य सीखने में असमर्थ रहीं. बिहार लौटने के बाद, उन्होंने 2008 में पटना के भारतीय नृत्य कला मंदिर से भरतनाट्यम सीखना शुरू किया. उस समय उनकी उम्र 40 वर्ष थी. एक साल तक प्रशिक्षण लेने के बाद उन्होंने राजगीर महोत्सव में अपनी पहली प्रस्तुति दी, जो बेहद सराही गई.

सोनपुर मेले में प्रस्तुति

इस बार सोनपुर मेले में डॉ. विजयलक्ष्मी ने कला एवं संस्कृति विभाग के मंच पर दो गानों पर नृत्य प्रस्तुत किया. यह प्रस्तुति विशेष रूप से इसलिए यादगार रही, क्योंकि यह उनके लिए भावनात्मक रूप से जुड़ी थी, जब बिहार और झारखंड का विभाजन हुआ था, तब डॉ. विजय लक्ष्मी को सारण जिले की जिलाधिकारी के रूप में नियुक्त किया गया था. सोनपुर मेले के दौरान उन्होंने जिलाधिकारी का चार्ज संभाला था.

पारिवारिक सहयोग

डॉ. विजयलक्ष्मी के पति डॉ. एस. सिद्धार्थ, जो खुद बिहार के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी और तमिलनाडु के निवासी हैं, हमेशा उनका समर्थन करते हैं. दोनों का दक्षिण भारतीय संस्कृति से जुड़ाव उनके व्यक्तित्व और रुचियों में झलकता है. डॉ. विजयलक्ष्मी का यह सफर न केवल प्रशासनिक कार्यों में उत्कृष्टता का प्रतीक है, बल्कि यह प्रेरणा देता है कि अपने शौक और रुचियों को भी व्यस्त जीवन में कैसे जिया जा सकता है.

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