अमृतसर-अजमेर एक्सप्रेस में बुधवार को एक यात्री को दिल का दौरा पड़ा, जिससे उसकी हालत बेहद गंभीर हो गई। उसकी सांसें थम चुकी थीं और केवल गर्दन और हाथों में ही नब्ज महसूस हो रही थी। ट्रेन में मौजूद एक महिला डॉक्टर ने तुरंत स्थिति को संभालते हुए मरीज को सीपीआर (कार्डियोपल्मनरी रिससिटेशन) देना शुरू किया।


35 सेकंड तक सीपीआर देने के बाद मरीज ने हल्का प्रतिक्रिया देना शुरू किया। इसके बाद, 12 सेकंड और सीपीआर देने के बाद मरीज धीरे-धीरे उठकर बैठ गया। रेवाड़ी स्टेशन पर ट्रेन रुकने के बाद, मरीज को तुरंत एंबुलेंस के जरिए अस्पताल पहुंचाया गया, जहां उसकी स्थिति अब स्थिर है।


डॉक्टर की तत्परता ने बचाई जान


मामले के अनुसार, श्री बालाजी सेवा संघ के नेतृत्व में श्रद्धालुओं का एक समूह अमृतसर-अजमेर एक्सप्रेस से लौट रहा था। इसी डिब्बे में कपूरथला के निवासी स्वामी प्रसाद अपने परिवार के साथ यात्रा कर रहे थे। जब ट्रेन चरखी दादरी पहुंची, तो स्वामी प्रसाद बाथरूम में गए, जहां वह बेहोश होकर गिर पड़े।


ट्रेन में यात्रा कर रही डॉक्टर ईशा ने तुरंत मौके पर पहुंचकर मरीज की जांच की। डॉक्टर ने बताया कि मरीज की सांसें बंद हो चुकी थीं और उसकी जीभ बाहर निकली हुई थी। हालांकि, उसकी गर्दन और हाथों में नब्ज महसूस हो रही थी। स्थिति को देखते हुए डॉक्टर ईशा ने तुरंत सीपीआर देना शुरू किया।


यात्रियों ने किया डॉक्टर का सम्मान


मरीज की हालत में सुधार होते ही ट्रेन में मौजूद यात्रियों ने डॉक्टर ईशा का तालियों से स्वागत किया और उनका धन्यवाद किया। कुछ यात्रियों ने डॉक्टर का सम्मान भी किया। रेवाड़ी स्टेशन पर ट्रेन रुकने से पहले टीटीई को सूचना देकर एंबुलेंस बुला ली गई थी। मरीज को अस्पताल ले जाकर जांच की गई, जहां पता चला कि उसकी तीनों धमनी ब्लॉक हो चुकी थीं। डॉक्टरों के मुताबिक, समय पर दी गई सीपीआर ने उसकी जान बचा ली।