विक्रम मिश्र, लखनऊ. यूपी की 9 सीटों पर उपचुनाव हुआ. जिसमें भाजपा को 7 सीटों पर विजयश्री मिली तो समाजवादी पार्टी हर सीट पर मुख्य लड़ाई में रही और 2 सीट उसके खाते में दर्ज हुए. लेकिन बहुजन समाज पार्टी की तो 7 सीटों पर जमानत जब्त हो गई. हर सीट पर उसके प्रत्याशी नामांकन तो किये लेकिन जनता ने उन्हें नकार दिया.
डेढ़ लाख पोलिंग वाली मुरादाबाद की कुंदरकी सीट पर बसपा प्रत्याशी को सिर्फ 1051 वोट मिले. ऐसे ही कटेहरी और बाकी की सीट पर बसपा का कैडर कुछ खास नही कर सका है.
हाशिये पर मुख्य लड़ाई में रहने वाली बसपा अब
कभी उत्तर प्रदेश की सियासत में बसपा की बात किये बगैर राजनीति का समीकरण नहीं बुना जा सकता था. लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद से बसपा का अपना वोटर दलित मुस्लिम भी उससे छिटक गया. आज बसपा के पास उसके कोई बड़े नेता साथ नहीं है. कभी दलितों की बेटी के साथ नसीमुद्दीन सिद्दीकी, स्वामी प्रसाद मौर्य, बाबू सिंह कुशवाहा, नकुल दुबे इत्यादि सरीखे नेता होते थे. लेकिन अब बसपा की तरकश से तीर गायब है.
आकाश आनंद को लेकर भी अब बसपा के भीतर चर्चा होनी शुरू हो गई है. बसपा के नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि बहुजन समाज पार्टी के मुखिया अब मैदान में नही बल्कि ट्वीटर पर जीत हार का मसौदा तैयार करते है. जबकि जमीन पर बसपा का झंडाबरदार अब कोई बचा नहीं है.
सिर्फ एक विधायक बच गया है
रसड़ा विधानसभा से उमाशंकर सिंह बसपा के टिकट पर विधायक है. हालांकि उनकी सियासत को जानने और समझने वाले बताते है कि उनकी जीत में बहुजन समाज पार्टी के नेताओ का कोई खास योगदान नहीं है. इसके अलावा बसपा विधानपरिषद में शून्य पर है. लोकसभा और विधान परिषद में शून्य है. राज्यसभा में सिर्फ 1 सीट रह गई है.
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