रायपुर। वाणिज्य कर विभाग (राज्य जीएसटी) में अधिकारियों और कर्मचारियों की भारी भरकम फौज भी टैक्स चोरी को रोक नहीं पा रही है. जबकि विभाग ने टैक्स चोरी पर नजर रखने के लिए 10 से ज्यादा चार्टर एकाउंटेंटों को भी संविदा नियुक्ति पर रखा है. विभाग इन्हें हर महीने 50 हजार की मोटी तनख्वाह भी दे रहा है. विभाग ने इन्हें असेसमेंट की जिम्मेदारी सौंपी है. जबकि सेंट्रल जीएसटी में इसी काम की जिम्मेदारी वहां के अधिकारी निभा रहे हैं और वहां किसी भी सीए को नियुक्त नहीं किया गया है.


मोटी तनख्वाह पर नियुक्त करने के बाद भी अब तक विभाग ने कोई भी बड़ी टैक्स चोरी नहीं पकड़ी है. दरअसल 2014-15 में आए बोगस बिल के मामले में वाणिज्यकर विभाग के कई अधिकारियों के मिली भगत का मामला सामने आया थाा. मामला सामने आने के बाद विभाग ने सीए से असेसमेंट कराने का निर्णय लिया था. जीएसटी लागू हुए दो साल होने को हैं. विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को कई दफे लंबी ट्रेनिंग भी दी जा चुकी है. इसके बावजूद अधिकारी टैक्स चोरी पर लगाम लगा पाने में नाकामयाब हैं.

अब जबकि राज्य सरकार फिजूल की पैसा बर्बादी रोकने की कवायद में भिड़ी हुई है और विभागों में बड़ी संख्या में मौजूद अधिकारियों और कर्मचारियों की संविदाएं खत्म कर उन्हें हटाया जा रहा है. वहीं वाणिज्यकर विभाग जो कि टैक्स चोरी पर कोई भी बड़ी कार्रवाई अब तक नहीं कर पाया है. ऐसे में भारी भरकम तनख्वाह पर की गई ये नियुक्तियां सवालों के घेरे में है. सवाल यह उठता है कि जब विभाग को कोई सफलता नहीं मिल पा रही है तो इनकी संविदा नियुक्ति का औचित्य क्या है और विभाग में मोटी तन्ख्वाह पर पहले से ढेरों अधिकारी और कर्मचारी स्थाई नियुक्ति पर हैं ही.