वाराणसी. महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में गोभक्त एकनाथ शिंदे की जीत पर ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती ने प्रसन्नता व्यक्त की है. उन्होंने कहा है कि मतदान से पाप-पुण्य के विचार को महाराष्ट्र की जनता ने समझा व गोभक्त एकनाथ शिंदे को भारी मतों से विजयी बनाया.
हर हिंदू को यह समझना जरूरी
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती महराज ने कहा है कि हर हिन्दू को यह समझने की है आवश्यकता कि गौ-हत्या को जारी रखने वाले राजनीतिक दलों और उनके प्रत्याशियों को मतदान करने से गौहत्या का पाप मतदाता को भी लगता है.
महाराष्ट्र की जनता ने गौ-भक्त का दिया साथ
शंकराचार्य ने यह भी कहा है महाराष्ट्र की जनता ने गौभक्त एकनाथ शिन्दे को भारी मतों से विजयी बनाकर यह साबित किया है कि वे गौहत्या के विरोधी हैं और गौरक्षा के समर्थक हैं.
यह एकनाथ शिन्दे की नही, गौरक्षा की जीत
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती ने कहा है कि “यह जीत न केवल एकनाथ शिन्दे जी की जीत है”, बल्कि “यह गौरक्षा की जीत है, यह हिन्दू समाज की जीत है.” महाराष्ट्र की जनता ने यह साबित किया है कि वे गौहत्या के विरोधी हैं और गोरक्षा के समर्थक हैं. यह एक अच्छा संकेत है और यह देश के लिए एक अच्छा दिन है.
एकनाथ शिन्दे को शंकराचार्य ने दी बधाई
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती ने एकनाथ शिन्दे जी व महाराष्ट्र की जनता को बधाई दी है और कहा है कि यह जीत गौरक्षा के लिए एक अच्छा संदेश है.
शिंदे ही मुख्यमंत्री रहें तो अच्छा
एकनाथ शिंदे जी के नेतृत्व में महायुति को एक ऐतिहासिक विजय मिली है, और देश की बहुसंख्यक जनता का भरोसा उनमें परिलक्षित हुआ हैं. यह उनकी नेतृत्व क्षमता और लोकप्रियता का प्रमाण है.
एकनाथ शिंदे जी के नेतृत्व में महायुति ने जो उपलब्धियां हासिल की हैं, वे वास्तव में प्रशंसनीय हैं. उनकी नीतियों और कार्यक्रमों ने जनता का दिल जीता है, और उनकी लोकप्रियता दिनों-दिन बढ़ती जा रही है.
एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाए रखने से न केवल महायुति को मजबूती मिलेगी, बल्कि जनता की आकांक्षाओं और अपेक्षाओं को भी पूरा किया जा सकेगा.
बहुसंख्यक हिन्दुओं की धार्मिक भावना को समझने वाले को प्रोत्साहित करना उचित –
बहुसंख्यक हिन्दुओं की धार्मिक भावना को समझने वाले नेताओं को प्रोत्साहित करना हमारा कर्तव्य है. हमें लगता है कि जो कार्य गौमाता के संदर्भ में एकनाथ शिंदे जी ने किया है, वह देश का कोई राजनेता अब तक नहीं कर सका था.
एकनाथ शिंदे ने गौमाता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता और समर्पण का परिचय दिया है, जो देश के बहुसंख्यक हिन्दुओं की धार्मिक भावना को समझने और सम्मान करने का प्रतीक है.
हमें लगता है कि ऐसे नेताओं को प्रोत्साहित करना हमारा कर्तव्य है, जो देश की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत को समझते हैं और उसका सम्मान करते हैं.
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