अमन शुक्ला, न्यूज डेस्क. लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद अंतर्कलह और विवादों से जूझ रही उत्तर प्रदेश भाजपा को उपचुनावों के परिणाम ने संजीवनी दे दी है. 9 सीटों पर हुए उपचुनाव ने भाजपा को लोकसभा में मिले झटके से उबार दिया है. उच्च सदन के लिए हुए चुनाव में जो परिणाम आए थे उससे पार्टी में असंतोष भी था और संगठन में आपसी द्वंद भी चल रहा था. तो वहीं नेताओं का दिल्ली आना-जाना भी शुरु हो गया था. लेकिन इन सबकी परवाह किए बगैर सीएम योगी संगठन को संबल देने में लगे हुए थे. जिसका नतीजा करीब 6 महीने बाद हुए उपचुनाव में दिखा है.
हरियाणा चुनाव में योगी के दिए गए नारे “बंटेंगे तो कटेंगे” और “एक रहेंगे तो सेफ रहेंगे” का असर उपचुनाव में भी दिखा. ये नारा अब आगामी विधानसभा चुनाव में भी महती भूमिका निभा सकता है. इस नारे के चलते 9 में से 7 सीटों पर बीजेपी के वारे न्यारे हो गए. यही वजह रही कि चुनाव परिणाम वाले दिन बीजेपी कार्यालय पहुंचे सीएम ने अपने संबोधन में इन दोनों नारों को दोहराया.
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संघ की सक्रियता को भी इस जीत का एक महत्वपूर्ण कारण माना जा रहा है. ऐसा इसलिए क्योंकि जहां लोकसभा चुनाव में आरएसएस ने खुद को पीछे कर लिया था, वहीं उपचुनाव में संघ की सक्रियता का फायदा भाजपा संगठन को मिला. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 9 विधानसभा सीटों की जिम्मेदारी खुद ली और अन्य बड़े नेताओं को भी उपचुनाव में जिम्मेदारी दी.
बीजेपी ने सपा से छीना उसका गढ़
इसके अलावा कुंदरकी और कटेहरी जैसी सीटों पर भी पार्टी अपना परचम लहराने में सफल रही. ये दोनों ही सीट सपा का गढ़ मानी जाती थी, जिसे कमल ने अपने कब्जे में कर लिया. साथ ही, जिन नेताओं ने लोकसभा चुनाव के बाद पार्टी की समीक्षा बैठकों में हिस्सा नहीं लिया था, अब वे अपने रुख को बदलने के लिए मजबूर हो गए हैं. उपचुनाव के इस परिणाम ने योगी का कद और बढ़ा दिया है.
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