कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। यदि आप मध्य प्रदेश के ग्वालियर में इलाज कराने के लिए अंचल के सबसे बड़े शासकीय जयारोग्य अस्पताल समूह जा रहे है। तो थोड़ा ध्यान रखिएगा, कहीं आप सरकारी की जगह प्राइवेट अस्पताल न पहुंच जाए। पढ़िए यह खास रिपोर्ट…
सरकारी जयारोग्य अस्पताल में ग्वालियर चंबल अंचल के साथ ही उत्तर प्रदेश और राजस्थान से भी लोग इलाज कराने ग्वालियर जाते हैं। शिवपुरी जिले के करेरा में ट्रक की टक्कर से कौशल भार्गव और उनकी पत्नी भी घायल होने के बाद इलाज के लिए ग्वालियर पहुंचे। उन्हें झांसी मेडिकल कॉलेज से ग्वालियर के जयारोग्य अस्पताल रेफर करते हुए प्लास्टिक सर्जन डॉ श्याम गुप्ता से इलाज कराने के लिए कहा, लेकिन वह सरकारी अस्पताल की जगह ग्वालियर शहर में ही बसंत विहार स्थित जय-आरोग्य अस्पताल पहुंच गए।
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ऐंठ ली एक लाख से अधिक राशि
जिस किराये की कार के जरिए वह ग्वालियर पहुंचे, वह उन्हें जय-आरोगय हॉस्पिटल छोड़ गया। वहां सरकारी जयारोग्य हॉस्पिटल में अपनी सेवाएं देने वाले डॉ श्याम गुप्ता ने उनकी सर्जरी करते हुए 1 लाख से अधिक की रकम ऐंठ ली। इलाज के बाद जब उन्हें पता चला कि वह सरकारी की जगह प्राइवेट अस्पताल आ गए और उनसे भारी भरकम वसूली भी की गई। ऐसे में अब उन्होंने ग्वालियर कलेक्टर से इस मामले की शिकायत की है।
सरकारी अस्पताल के नाम का फायदा उठाकर धोखाधड़ी- शिकायतकर्ता
शिकायतकर्ता कौशल भार्गव का कहना है कि वह पहली बार ग्वालियर में इलाज लेने के लिए आए थे। ऐसे में उन्हें पता नहीं था कि ग्वालियर में सरकारी अस्पताल के नाम से मिलता जुलता प्राइवेट अस्पताल भी संचालित होता है। सरकारी अस्पताल जयारोग्य के अंडर में मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल भी संचालित होता है। ऐसे में वह भ्रम में रहे कि यह वहीं प्राइवेट जैसी सुविधाओं से युक्त मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल है, जहां सरकारी डॉक्टर श्याम गुप्ता ने उनका इलाज भी किया, लेकिन जब लगातार जांच, दवाई और इलाज के लिए मोटी रकम वसूलना शुरू की गई तब जाकर मालूम हुआ कि उनके साथ सरकारी अस्पताल के नाम का फायदा उठाकर धोखाधड़ी की गई है। जिसमें सरकारी अस्पताल में अपनी सेवाएं देने वाले डॉक्टर श्याम गुप्ता भी शामिल है। जिसकी शिकायत उन्होंने ग्वालियर कलेक्टर से की है।
ADM ने CMHO को दिए ये निर्देश
वहीं इस मामले में ADM संजीव जैन का कहना है कि सरकारी अस्पताल के नाम से मिलता जुलता प्राइवेट अस्पताल संचालित करने और धोखाधड़ी की शिकायत उन्हें मिली है। जिसकी जांच के लिए उन्होंने मुख्य चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी को निर्देश दिए हैं। CMHO कार्यालय से आखिर कैसे सरकारी अस्पताल से मिलता जुलता नाम वाला टाइटल प्राइवेट अस्पताल को दिया गया इसके बारे में भी जानकारी मांगी गई है।
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अस्पताल प्रबंधक ने कही ये बात
प्राइवेट जय-आरोग्य अस्पताल के प्रबंधक योगेश यादव का कहना है कि हादसे में घायल पति पत्नी का पूरा इलाज किया गया। उनके अस्पताल के नाम का टाइटल भी जयारोग्य नहीं बल्कि जय-आरोग्य है। जिसकी विधिवत अनुमति उनके पास है। इलाज की रेट लिस्ट भी CMHO ऑफिस से एप्रूव्ड है। ऐसे में जो इलाज किया गया है, उसके ही आधार पर फीस ली गई है।
बहरहाल प्रशासन को भी मिलते जुलते अस्पताल के नाम के टाइटल को लेकर असमंजस है। क्यों कि उसकी अनुमति CMHO दफ्तर से ही दी गई। फिर भी टाइटल देने में कोई गड़बड़झाला तो नहीं हुआ। जिसे देखते हुए ADM ने जांच के निर्देश दिए है। ऐसे में देखना होगा कि जांच के बाद सरकारी और प्राइवेट अस्पताल के नाम पर किस तरह की कार्रवाई देखने मिलती है।
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