Rajasthan News: ख्वाजा गरीब नवाज दरगाह में शिव मंदिर होने के दावे पर मंगलवार को अजमेर सिविल कोर्ट में सुनवाई हुई। हिंदू सेना ने दावा किया है कि दरगाह की जगह पहले भगवान शिव का संकट मोचन महादेव मंदिर था। इस दावे के समर्थन में 1910 में प्रकाशित हर विलास शरदा की किताब को साक्ष्य के रूप में पेश किया गया। कोर्ट अब इस मामले में 27 नवंबर को सुनवाई करेगी।

क्या है हिंदू सेना का दावा?
हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने अपनी याचिका में कहा कि अजमेर दरगाह की भूमि पर शिव मंदिर स्थित था। उन्होंने दरगाह समिति के कब्जे को अवैध बताते हुए इसे हटाने और मंदिर में पूजा-अर्चना की अनुमति देने की मांग की है। इसके लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) से सर्वेक्षण कराने का अनुरोध किया गया है।
ये हैं प्रमुख साक्ष्य
- 1910 में प्रकाशित हर विलास शरदा की पुस्तक, जिसमें दावा किया गया है कि दरगाह की जगह पहले हिंदू मंदिर था।
- अन्य ऐतिहासिक दस्तावेज और प्रमाण जो मंदिर के अस्तित्व का समर्थन करते हैं।
- एएसआई सर्वेक्षण की मांग, जिससे भूमि के वास्तविक इतिहास को स्पष्ट करने की उम्मीद है।
27 नवंबर को कोर्ट तय करेगा कि वाद सुनवाई योग्य है या नहीं। अगर एएसआई सर्वेक्षण की मंजूरी मिलती है, तो संभल मस्जिद के बाद अजमेर दरगाह पर भी सर्वे हो सकता है। हिंदू सेना को उम्मीद है कि कोर्ट उनकी मांगों को स्वीकार करेगा और सर्वेक्षण का आदेश देगा।
क्या चाहती है हिंदू सेना?
- अजमेर दरगाह को भगवान शिव के संकट मोचन महादेव मंदिर के रूप में घोषित करना।
- दरगाह समिति का कब्जा हटाना।
- हिंदू समाज को पूजा-अर्चना का अधिकार देना।
- एएसआई सर्वेक्षण कराकर मंदिर के ऐतिहासिक अस्तित्व की पुष्टि।
बता दें कि यह विवाद अब धर्म और इतिहास के संवेदनशील मुद्दे को लेकर बहस का केंद्र बन चुका है। कोर्ट के आगामी निर्णय पर पूरे देश की नजर है।
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