लखनऊ. अजमेर शरीफ दरगाह को लेकर विवाद चिढ़ गया है. हिंदू सेना के प्रमुख विष्णु गुप्ता ने कोर्ट में सर्वे कराने की मांग की है और कोर्ट ने याचिका को स्वीकार कर लिया है. विष्णु गुप्ता का दावा है कि अजमेर शरीफ दरगाह सूफी संत ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती का मकबरा नहीं है. यहां पहले शिव मंदिर था. अब इस मामले में 20 दिसंबर को सुनवाई होनी है. अब इस मामले को लेकर सपा नेता रामगोपाल वर्मा ने भाजपा और पीएम मोदी पर करारा हमला बोला है.

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अजमेर शरीफ मुद्दे पर सपा नेता राम गोपाल यादव ने कहा, “इस तरह के छोटे-छोटे जज बैठे हैं, जो इस देश में आग लगवाना चाहते हैं. कोई मतलब नहीं है इसका. अजमेर शरीफ पर हमारे प्रधानमंत्री स्वयं चादर भिजवाते हैं. देश दुनिया से लोग वहां आते हैं. उसको विवादों में डालना बहुत ही घृणित और ओछी मानसिकता का प्रतीक है. सत्ता में बने रहने के लिए भाजपा समर्थित लोग कुछ भी कर सकते हैं, देश में आग लग जाए इससे इन्हें कोई मतलब नहीं है.

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क्या है पूरा मामला

याचिका में दावा किया गया था कि दरगाह की जमीन पर पूर्व में भगवान शिव का मंदिर था. वहां पूजा पाठ और जलाभिषेक किया जाता रहा है. दरगाह परिसर में एक जैन मंदिर होने का भी दावा किया गया. याचिका में अजमेर के रहने वाले हरविलास शारदा द्वारा 1911 में लिखी गई एक पुस्तक का हवाला दिया गया. इसके आधार पर दरगाह की जगह मंदिर होने के प्रमाण का उल्लेख किया गया जिनमें दावा किया गया है कि दरगाह परिसर में मौजूद 75 फीट के बुलंद दरवाजे के निर्माण में मंदिर के मलवे के अंश हैं. साथ ही वहां एक तहखाना या गर्भ गृह होने की भी बात की गई और कहा गया है कि वहां शिवलिंग था, जहां ब्राह्मण परिवार पूजा अर्चना करते थे.