अमृतसर. पंजाब में पांच नगर निगमों और नगर परिषदों के चुनाव का मुद्दा एक बार फिर हाईकोर्ट पहुंच गया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद, राज्य चुनाव आयोग ने अब तक चुनाव कार्यक्रम जारी नहीं किया है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित समय सीमा 26 नवंबर को समाप्त हो चुकी है। इस देरी के चलते याचिकाकर्ता बेअंत सिंह ने राज्य चुनाव आयोग के खिलाफ मानहानि याचिका दाखिल की है। गुरुवार को चीफ जस्टिस की बेंच के सामने तत्काल सुनवाई की मांग की गई।
याचिकाकर्ता की दलील
याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा कि पंजाब सरकार ने 22 नवंबर को चुनाव के लिए अधिसूचना जारी कर चुनाव आयोग को पत्र भेजा था। इसके बावजूद चुनाव आयोग ने कार्यक्रम घोषित नहीं किया। याचिकाकर्ता ने अदालत से हस्तक्षेप की मांग की, क्योंकि पिछली सुनवाई में अदालत ने उन्हें यह अधिकार दिया था कि यदि उचित कार्रवाई नहीं होती है तो वे फिर से अदालत का रुख कर सकते हैं।
सरकार का दावा
पंजाब के सिविल बॉडी मंत्री डॉ. रवजोत सिंह ने इस मामले पर कहा कि चुनाव कराने का निर्णय अब राज्य चुनाव आयोग को लेना है। उन्होंने बताया कि चुनाव पार्टी प्रतीकों पर होंगे और नगर निगम दिसंबर के अंत तक चुनाव कराने के लिए तैयार है। यह चुनाव पुरानी वार्ड सीमा के आधार पर कराए जाएंगे।
हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक का सफर
पंजाब में पांच नगर निगमों और 44 नगर परिषदों के चुनाव को लेकर मामला पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा। 11 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार को 10 हफ्तों में चुनाव कराने का आदेश दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था :-
1 – 15 दिनों में चुनाव की अधिसूचना जारी की जाए।
2 – अगले 8 हफ्तों में पूरी चुनाव प्रक्रिया पूरी हो।
पहले भी हुई देरी पर हाईकोर्ट ने लगाई थी फटकार
6 नवंबर को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया था कि 10 दिनों के भीतर चुनाव की अधिसूचना जारी की जाए। इसमें देरी पर 50,000 रुपये जुर्माना और मानहानि का केस दर्ज करने की चेतावनी भी दी गई थी।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना
सरकार ने हाईकोर्ट को 21 नवंबर को बताया था कि 25 नवंबर तक अधिसूचना जारी कर दी जाएगी। इसके आधार पर हाईकोर्ट ने मामला बंद कर दिया था। लेकिन अब, तय समय सीमा बीतने के बाद भी चुनाव शेड्यूल जारी न होने पर मामला फिर हाईकोर्ट में आ गया है।
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