विक्रम मिश्र, लखनऊ. उत्तरप्रदेश कांग्रेस भले ही सिकुड़ी हुई सी हो, लेकिन अब उसमें गर्माहट और फैलाव की स्थिति देखने को मिल रही है. कांग्रेस अब समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन कर 6 सांसदों के साथ ठीक-ठाक स्थिति में है. हालांकि, कार्यकर्ताओं और विस्तार को लेकर कांग्रेस में हालात अभी भी सामान्य नजर नहीं आ रहे हैं. लेकिन प्रियंका वाड्रा के सक्रिय राजनीति में आने से यूपी कांग्रेस सक्रिय सदस्यों में उत्साह आ गया है.

जीत वायनाड में, मनोबल यूपी में क्यों?


प्रियंका वाड्रा लोकसभा सांसद वायनाड में हुए रिक्त सीट पर जीतकर बनी है. कांग्रेस नेता और प्रियंका वाड्रा के भाई राहुल गांधी ने लोकसभा चुनाव वायनाड और रायबरेली उत्तर प्रदेश की सीट पर लड़ा था, जबकि दोनों पर उन्होंने जीत हासिल किया था. जिसमें राहुल ने वायनाड सीट छोड़कर अपनी पारिवारिक और परम्परागत सीट रायबरेली से अपनी लोकसभा की संबद्धता को आगे बढ़ाया था.

क्या कहते हैं कांग्रेसी?

‘इंदिरा इज बैक’ का नारा देते हुए अमेठी ज़िले से आए राम नरेश ने बताया कि कांग्रेस को अब तिलस्मी नेतृत्व मिल गया है. प्रियंका वाड्रा के रूप में अब राजनीति सुचिता की सुनामी आ रही है. वहीं लखनऊ के पुराने कांग्रेसी कार्यकर्ता प्रमोद ने बताया अब कांग्रेस खुद के बल पर चुनाव मैदान में जाने को तैयार हैं. राहुल गांधी के साथ समाज तो प्रियंका वाड्रा के साथ सभी लोग मिलकर कांग्रेस के हाथ को मजबूत कर रहे हैं.

हर बार उठती रही थी मांग
प्रियंका वाड्रा जब यूपी की प्रभारी थीं तब से लेकर ही उनके चुनाव लड़ने की अटकलें लगाई जाती रही हैं. कभी उनको ख्यालों में रायबरेली तो कभी अमेठी से चुनाव लड़ाया जाता रहा है. ऐसा माना जाता भी था कि प्रियंका के पास वो ताकत है, जिससे यूपी की सत्ता में दूसरी बार काबिज भाजपा को उखाड़ फेंका जा सकता है, लेकिन हर बार प्रियंका वाड्रा सिर्फ कयासों में चुनाव लड़ती थीं, लेकिन इस लोकसभा उपचुनाव में उन्होंने वायनाड से जीत हासिल कर लिया है. ऐसे में 27 के यूपी आम चुनाव में उनकी प्रचार कार्यक्रम से कांग्रेस को उत्साह मिलने की उम्मीद है.