दिल्ली सरकार की ओर से दिल्ली निर्माण श्रमिक कल्याण बोर्ड के गठन को लेकर भेजे गए प्रस्ताव को एलजी ने मंजूरी दी है, इससे जल्द ही दिल्ली में निर्माण श्रमिकों को उनसे जुड़ी योजनाओं का लाभ फिर से मिलना शुरू हो जाएगा. निर्माण श्रमिक कल्याण बोर्ड का गठन नहीं होने के कारण उनके लिए चल रही कल्याणकारी योजनाओं के लिए धनराशि नहीं मिल पा रही थी. अधिकारियों का कहना है कि बोर्ड का गठन होने पर श्रमिकों को लंबित आवेदनों के साथ कई योजनाओं का लाभ मिलेगा.
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प्रदूषण के चलते भी आर्थिक नुकसान हो रहा श्रम विभाग के अधिकारियों ने कहा कि बोर्ड की स्थापना के बाद निर्माण श्रमिकों को प्रदूषण में निर्माण कार्यों पर लगाए गए प्रतिबंधों के चलते हो रहे आर्थिक नुकसान के लिए अब मदद भी दी जा सकेगी. वास्तव में, दिल्ली में प्रदूषण स्तर अत्यंत खराब श्रेणी में होने के कारण लंबे समय से निर्माण कार्यों पर पाबंदी लगाई गई है, जिससे निर्माण श्रमिकों, जो अपने जीवन निर्वाह के लिए इस पर निर्भर हैं, पर असर पड़ा है. पिछले वर्षों में सरकार ने ऐसे निर्माण श्रमिकों को आर्थिक सहायता देने की घोषणा की थी, लेकिन इस बार बोर्ड नहीं बना होने के कारण उन्हें अब तक उन्हें कोई सहायता नहीं मिली है. एलजी की मंजूरी से कर्मचारियों को बहुत राहत मिली है और इस योजना पर जल्द ही काम शुरू होगा.
पंजीकृत श्रमिकों को ही मिलता है फायदा
निर्माण श्रमिक कल्याण बोर्ड के गठन के लिए सदस्यों द्वारा भेजे गए प्रस्तावों में एक अतिरिक्त मुख्य सचिव वित्त को निर्माण श्रमिक कल्याण बोर्ड का चेयरपर्सन बनाया गया है, साथ ही केंद्र सरकार से नामित सदस्यों के अलावा निर्माण श्रमिकों के प्रतिनिधि भी शामिल हैं. निर्माण श्रमिकों को योजनाओं का लाभ सिर्फ बोर्ड में पंजीकृत श्रमिकों को मिलता है.
LG के निर्देश पर सरकार ने भेजा था प्रस्ताव
अधिकारियों का कहना है कि दिल्ली सरकार को पिछले दिनों बोर्ड गठित करने के लिए निर्देश दिए गए थे. सरकार ने इसके बारे में प्रस्ताव बनाकर उपराज्यपाल को भेजा, जिसे एलजी ने स्वीकार किया है.
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GRAP-4 की वजह से अभी निर्माण कार्यों पर पाबंदी
आंकड़े बताते हैं निर्माण श्रमिक बोर्ड के साथ 15 लाख से अधिक श्रमिक पंजीकृत हैं. पिछले साल सरकार ने विभिन्न योजनाओं के तहत 246 करोड़ रुपये निर्माण श्रमिकों पर खर्च किए थे. राजधानी में प्रदूषण के कारण ग्रैप-4 लागू है, जिससे श्रमिकों को काम नहीं मिल रहा है और वे आर्थिक संकट में हैं.
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