चंद्रकांत/बक्सर: टुड़ीगंज रेलवे स्टेशन पर यात्री सुविधाओं का अभाव और एक्सप्रेस ट्रेनों के ठहराव की कमी लोगों के लिए बड़ी समस्या बन गई है. स्टेशन से प्रतिदिन हजारों यात्री यात्रा करते हैं, लेकिन यहां बुनियादी सुविधाओं की कमी के कारण यात्रियों को भारी कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है. पिछले कुछ वर्षों में फुट ओवर ब्रिज का निर्माण हुआ है, जिससे पटरी पार करना आसान हुआ है. बावजूद इसके स्टेशन की बाकी सुविधाओं में कोई सुधार नहीं हुआ है. 22 सितंबर को स्थानीय सांसद सुधाकर सिंह ने स्टेशन का निरीक्षण किया था. 3 महीने बाद भी स्थिति जस की तस बनी हुई है.

आमदनी और सुविधाओं का असंतुलन

स्टेशन की आमदनी और सुविधाओं के बीच बड़ा अंतर है. वित्तीय वर्ष 2023-24 में स्टेशन ने 29,30,655 रुपये का राजस्व अर्जित किया, लेकिन सुविधाओं के नाम पर कुछ खास उपलब्ध नहीं है. इस राजस्व के बावजूद स्टेशन पर एक भी एक्सप्रेस ट्रेन का ठहराव नहीं है. यात्रियों को डुमरांव, बक्सर, या आरा रेलवे स्टेशनों की ओर रुख करना पड़ता है. रेलवे यात्री कल्याण समिति ने कई बार प्रदर्शन किए और ज्ञापन सौंपे, लेकिन स्टेशन की स्थिति में कोई बदलाव नहीं हुआ. यहां तक कि शौचालय, पीने के पानी और उचित लाइटिंग जैसी बुनियादी सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं हैं.

यात्रियों की प्रमुख मांगें

यात्रियों की मुख्य मांगों में आरा-टाटानगर एक्सप्रेस और विभूति एक्सप्रेस जैसी ट्रेनों का ठहराव शामिल है. इसके अलावा अप और डाउन प्लेटफॉर्म पर पीसीसी ढलाई, शौचालय और पानी टंकी की व्यवस्था और समुचित यात्री शेड की आवश्यकता भी यात्रियों द्वारा लंबे समय से उठाई जा रही है. रेल यात्री कल्याण समिति की मांगों में अधूरे फुट ओवर ब्रिज का निर्माण पूरा करना शामिल था, जो हाल ही में पूरा हुआ है, लेकिन अन्य सुविधाओं पर अब तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है.

2 दर्जन गांवों पर निर्भरता

बता दें कि यह स्टेशन नचाप, बेलहरी, अरियांव, डुभकी, अमथुआ, सरौरा, सोवां, रेहियां, धरहरा, छतनवार, चन्दा, चक्की, अरक, योगिया, भरियार, और परसिया जैसे 2 दर्जन से अधिक गांवों के लोगों की निर्भरता का केंद्र है. यात्रियों ने कोरोना काल में बंद हुई जनता एक्सप्रेस, लालकिला एक्सप्रेस, अपर इंडिया एक्सप्रेस, हावड़ा-अमृतसर एक्सप्रेस और तूफान एक्सप्रेस जैसी ट्रेनों को फिर से शुरू करने की भी मांग की है. 

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