Sovereign Gold Bond Scheme: भारत सरकार ने भौतिक सोने के आयात को नियंत्रित करने के उद्देश्य से 2015 में सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (एसजीबी) योजना शुरू की थी. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार 2025-26 से सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम बंद हो सकती है. सरकार अब अपने ऋण-से-GDP अनुपात को कम करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है.
बिजनेस स्टैंडर्ड की एक रिपोर्ट के अनुसार, एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड योजना ने अपना उद्देश्य पूरा कर लिया है और इससे सरकार का वित्तीय बोझ बढ़ता है.
अधिकारी के अनुसार, “सरकार को परिपक्वता पर एसजीबी निवेशकों को सोने के बराबर मूल्य का भुगतान करना पड़ता है, जिससे सरकार की देनदारियाँ बढ़ जाती हैं. इसके अतिरिक्त, नियमित ब्याज भुगतान से सरकार के वित्तीय संसाधनों पर दबाव पड़ता है.”
ऋण-से-जीडीपी अनुपात को कम करने पर विचार
सरकार का लक्ष्य वित्त वर्ष 27 से ऋण-से-जीडीपी अनुपात को लगातार कम करना है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आगामी वित्त वर्ष 26 के बजट में इस संबंध में योजना की घोषणा कर सकती हैं.
जुलाई में पेश किए गए बजट भाषण में वित्त मंत्री ने वित्तीय समेकन के लिए सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई और वित्त वर्ष 26 में राजकोषीय घाटे को 4.5 प्रतिशत से नीचे रखने का लक्ष्य रखा. साथ ही, वित्त वर्ष 25 में ऋण-से-जीडीपी 58.2 प्रतिशत से घटकर 56.8 प्रतिशत होने का अनुमान है.
एसजीबी बॉन्ड में कमी
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड के लिए वित्त वर्ष 25 के बजट में 18 हजार 500 करोड़ रुपये आवंटित किए गए, जो वित्त वर्ष 24 के अंतरिम बजट में 26 हजार 852 करोड़ रुपये से कम है.
वित्त वर्ष 25 में अब तक कोई नया एसजीबी जारी नहीं किया गया है. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने आखिरी बार फरवरी 2023 में एसजीबी जारी किया था, जिसकी राशि 8,008 करोड़ रुपये थी.
Sovereign Gold Bond Scheme क्या है ?
2015 में शुरू की गई सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड योजना का उद्देश्य खुदरा निवेशकों को भौतिक सोने से कागजी सोने की ओर आकर्षित करना था. इन बॉन्ड की परिपक्वता अवधि आठ साल थी, जिसमें पांच साल बाद आंशिक मोचन होता था.
शुरुआत में ब्याज दर 2.75 प्रतिशत थी, जिसे बाद में घटाकर 2.5 प्रतिशत कर दिया गया. साथ ही वित्त वर्ष 2025 के बजट में सोने के आयात शुल्क को 15 प्रतिशत से घटाकर 6 प्रतिशत करने का फैसला किया गया है, जिसका उद्देश्य तस्करी को रोकना है.
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