अमृतसर. शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) (SGPC) ने बादल पर हमले के बाद अंतरिम कमेटी की बैठक बुलाई है. यह बैठक श्री अकाल तख्त साहिब द्वारा सुखबीर बादल को सजा सुनाए जाने और उन पर हुए हमले के बाद पहली बार हो रही है। बैठक का मुख्य एजेंडा सुखबीर बादल पर हमला ही रखा गया है। इसके अलावा कुछ अन्य मुद्दों पर भी विचार-विमर्श किया जाएगा।

बैठक के ऐलान से पहले कमेटी के अध्यक्ष एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी और अन्य सदस्य श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह से मिलने पहुंचे। इस बीच सुखबीर बादल की सजा जारी है। तीन गुरुद्वारों में सेवा करने के बाद अब उन्हें अपनी सजा पूरी करने के लिए दमदमा साहिब और श्री मुक्तसर साहिब जाना होगा।

13 दिसंबर को समाप्त होगी सुखबीर बादल की सजा


सुखबीर बादल की सजा 3 दिसंबर को हरिमंदिर साहिब से शुरू हुई थी, जो 13 दिसंबर को समाप्त होगी। श्री अकाल तख्त साहिब ने सुखबीर बादल और अन्य अकाली नेताओं द्वारा दिए गए इस्तीफों को स्वीकार करने और इसकी रिपोर्ट भेजने का आदेश दिया है। हालांकि, सजा के कारण अकाली दल ने इस प्रक्रिया के लिए समय मांगा था, जिसे श्री अकाल तख्त साहिब ने स्वीकार कर लिया।

दूसरी ओर, सुखबीर बादल के इस्तीफे को मंजूरी देने में हुई देरी के कारण पार्टी के बागी धड़े ने इसे श्री अकाल तख्त साहिब के आदेशों का उल्लंघन बताया है।

बादल सरकार को चार मामलों में मिली सजा

  1. राम रहीम के खिलाफ शिकायत वापस लेना
    2007 में सलाबतपुरा में डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम ने सिखों के दसवें गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह जी की परंपरा का अपमान करते हुए उनके जैसे कपड़े पहनकर अमृत छकाने का स्वांग रचा था। इस पर राम रहीम के खिलाफ केस दर्ज किया गया था, लेकिन बादल सरकार ने सजा देने के बजाय यह केस वापस ले लिया।
  2. सुखबीर बादल ने डेरा प्रमुख को माफी दिलाई
    श्री अकाल तख्त साहिब ने राम रहीम को सिख पंथ से बहिष्कृत कर दिया था। सुखबीर बादल ने अपने प्रभाव का उपयोग करते हुए राम रहीम को माफी दिलवा दी। इस फैसले के बाद अकाली दल और शिरोमणि कमेटी की नेतृत्व को सिख समुदाय के गुस्से का सामना करना पड़ा। बाद में श्री अकाल तख्त साहिब ने माफी का फैसला रद्द कर दिया।
  3. बेअदबी की घटनाओं की सही जांच न होना
    2015 में फरीदकोट के बुरज जवाहर सिंह वाला गुरुद्वारा साहिब से गुरु ग्रंथ साहिब जी की बीड़ चोरी हुई थी। बाद में बरगाड़ी में ग्रंथ साहिब के अंग बाहर फेंके गए। इन घटनाओं से सिख समुदाय में भारी आक्रोश फैला। सुखबीर बादल और उनकी सरकार समय पर जांच कराने और दोषियों को सजा दिलाने में नाकाम रहे।
  4. झूठे मामलों में सिखों को न्याय न दिला पाना
    अकाली दल की सरकार ने सुमेध सैनी को पंजाब का डीजीपी नियुक्त किया, जिन पर फर्जी पुलिस मुठभेड़ों में सिख युवाओं को मारने के आरोप थे। इसके अलावा, पूर्व डीजीपी इज़हार आलम, जिन पर विवादित गतिविधियों के आरोप थे, की पत्नी को राजनीतिक पद दिया गया।