शिखिल ब्यौहार, भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव कुरुक्षेत्र (हरियाणा) में जारी अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के अंतर्गत संत सम्मेलन में शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश के नगरीय निकायों में अगले तीन साल में गीता भवन बन कर तैयार हो जाएंगे। राज्य सरकार की ओर से पूरे प्रदेश में गीता जयंती महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। भगवान श्री कृष्ण के मुखारविंद से निकली श्रीमद्भगवद्गीता से कर्मवाद की शिक्षा प्राप्त होती है। केवल भारत ही नहीं सम्पूर्ण विश्व में लोग गीता की शिक्षाओं का अनुसरण कर रहे हैं। मध्यप्रदेश में श्री कृष्ण पाथेय का निर्माण किया जा रहा है, जिसके अंतर्गत प्रदेश में विद्यमान भगवान श्री कृष्ण से संबंधित सभी स्थलों को तीर्थ के रूप में विकसित किया जाएगा।
MP के पाठ्यक्रम में सम्मिलित किया जाएगा गीता
सीएम ने आगे कहा कि मध्यप्रदेश में गीता को पाठ्यक्रम में सम्मिलित किया जाएगा। 11 दिसम्बर को गीता जयंती के अवसर पर मध्यप्रदेश सरकार की ओर से भोपाल और उज्जैन में 5 हजार से अधिक भगवत भक्तों के माध्यम से गीता पाठ का विश्व रिकार्ड बनाया जाएगा। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के आयोजकों से गीता पाठ से वर्चुअली जुड़ने का आव्हान किया।
अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के आयोजन में MP को सहभागी बनाने का किया आग्रह
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने अगले साल के अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के आयोजन में मध्यदेश को सहभागी बनाने का आग्रह भी किया। कार्यक्रम में पंजाब के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया, स्वामी अवधेशानंद, स्वामी रामदेव, स्वामी ज्ञानानन्द और विश्व हिंदू परिषद के उपाध्यक्ष चंपत राय के साथ भोज में शामिल हुए। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के आयोजन के लिए बधाई और शुभकामनाएं दीं।
मुख्यमंत्री ने गीता ज्ञान संस्थान का किया अवलोकन
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर गीता ज्ञान संस्थान स्थित मंदिर में दर्शन किए और संग्रहालय का अवलोकन किया। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के अवसर पर कुरूक्षेत्र में बने हरियाणा पवेलियन और महोत्सव के साझेदार उड़ीसा राज्य के पवेलियन का अवलोकन भी किया। उल्लेखनीय है कि अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव का आयोजन श्रीमद्भगवद्गीता की जयंती के अवसर पर हरियाणा सरकार द्वारा किया जाता है। गीता महोत्सव के दौरान श्रीमद्भगवद्गीता केन्द्रित विभिन्न सांस्कृतिक धार्मिक और शैक्षणिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
भगवान श्री कृष्ण ने शिक्षा के महत्व को स्थापित किया
मुख्यमंत्री ने कहा कि श्रीमद्भगवद्गीता के प्रकाश से विश्व प्रकाशमान हो रहा है। सभी ओर सनातन संस्कृति की ध्वजा लहरा रही है, और श्रीमद्भगवद्गीता की शिक्षाओं से सम्पूर्ण धरा लाभान्वित भी हो रही है। भगवान श्री कृष्ण ने शिक्षा के महत्व को स्थापित किया। भगवान श्री कृष्ण ने शिक्षा ग्रहण करने के लिए संदीपनि आश्रम पधार कर उज्जैन को गौरवान्वित किया साथ ही यह भी स्थापित किया कि व्यक्ति कितने महत्वपूर्ण पद पर हो, उसे शिक्षा ग्रहण करने के लिए अवश्यक प्रयास करना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि शिष्य की पहचान उसके गुरु से होती है। इस दृष्टि से श्रीमद्भगवद गीता, आचार्य संदीपनि की महानता और गुरूकुल पद्धति की पवित्रता और उसके उन्नत स्वरूप को प्रकट करती है। भीषण युद्ध के बीच भगवान श्री कृष्ण के मुख से गीता के ज्ञान का अवतरित होना भारत भूमि पर शिक्षा के गौरव और सांस्कृतिक समृद्धता को दर्शाता है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने जानकारी दी कि भगवान श्रीकृष्ण की समस्त लीलाओं से जन सामान्य को परिचित कराने की व्यवस्था संदीपनि आश्रम में की गई है। इसके साथ ही उज्जैन में कृष्णायन नाम से संग्रहालय विकसित किया गया है।
गौशालाओं का अनुदान किया गया दोगुना
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि मध्यप्रदेश में जन्माष्टमी पर शैक्षणिक संस्थाओं में भगवान श्रीकृष्ण के जीवन से संबंधित विभिन्न प्रसंगों पर गतिविधियां संचालित की गईं। राज्य शासन द्वारा प्रदेश में जन्माष्टमी का आयोजन धूमधाम से किया गया। भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पूजा के माध्यम से प्रकृति की पूजा का विलक्ष्ण मार्ग बताया है। इसे ग्रहण करते हुए मध्यप्रदेश में सर्वत्र गोवर्धन पूजा का आयोजन किया गया। अपाहिज, बेसहारा, बीमार गायों की देखभाल के लिए निर्णय लिया गया कि प्रदेश मेां गौशालाओं का संचालन राज्य शासन द्वारा किया जाएगा।
सामाजिक संगठनों द्वारा चलाइ जाने वाली गौशालाओं के अनुदान को दोगुना किया गया है, इसे 20 रुपए के स्थान पर प्रति गाय 40 रुपए किया गया है। दुग्ध उत्पादन के लिए दस से अधिक गाय पालने वालों को राज्य शासन की ओर से अनुदान उपलब्ध कराया जाएगा। इससे गौवंश के साथ -साथ प्रदेश की दुग्ध उत्पादन की क्षमता में वृद्धि होगी और घर-घर गोकुल विकसित करने में भी मदद मिलेगी। देश के दुग्ध उत्पादन में मध्यप्रदेश का नौ प्रतिशत का योगदान है, जिसे हम 20 प्रतिशत तक ले जाने के लिए संकल्पित हैं।
वर्षा जल से प्रवाहमान होगी क्षिप्रा
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रदेश में 2028 में होने वाले सिंहस्थ की तैयारी आरंभ कर दी गई है। उज्जैन में सिंहस्थ में लगने वाले अस्थाई कैंपों के स्थान पर आश्रम, अखाड़ों , महामंडलेश्वर आदि को स्थाई रूप से स्थान उपब्ध कराने के लिए विस्तारित योजना बनाई गई है। इससे हरिद्वार के समान पूरे साल सुविधा उपलब्ध होगी।
मुख्यमंत्री डॉ.यादव ने सभी संतों को सिंहस्थ में पधारने का निमंत्रण दिया। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि क्षिप्रा नदी में जल का प्रवाह सीमित होने के कारण सिंहंस्थ स्थान के लिए विशेष व्यवस्था करनी होती है, गत वर्षों में गंभीर बांध और नर्मदा नदी से जल लेकर यह व्यवस्था की गई। अब राज्य सरकार का प्रयास है कि वर्षा जल को संग्रहित कर क्षिप्रा नदी को निरंतर प्रवाह मान बनाया जाए। जिससे पूरे साल श्रद्धालु स्नान का पुण्य प्राप्त कर सकेंगे।
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