नई दिल्ली। रक्षा मंत्रालय के एक पूर्व अधिकारी ने राफ़ेल मामले में किये जा रहे सरकार के दावे को धता बताया है. एनडीटीवी से बातचीत में राफ़ेल सौदे के समय रक्षा मंत्रालय के वित्तीय सलाहकार रहे सुधांशु मोहंती ने रक्षा सौदों की बातचीत में किसी तरह की दख़लअंदाज़ी को नियमों के ख़िलाफ़ बताया है. उन्होंने कहा कि सौदे में किसी भी तरह की दखलंदाजी नियमों के खिलाफ है. रक्षा मंत्रालय के पूर्व वित्तीय सलाहकार के इस बयान के सामने आने के बाद, कांग्रेस को मोदी सरकार को घेरने का एक और मौका मिल गया है वहीं पार्टी इस मामले को लेकर और भी हमलावर हो सकती है.
तत्कालीन वित्तीय सलाहकार का यह बयान रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण के उस बयान के ठीक उल्टा है जिसमें उन्होंने कहा था कि पीएमओ की ओर से विषयों के बारे में समय-समय पर जानकारी लेना हस्तक्षेप नहीं कहा जा सकता है. निर्मला सीतारण ने लोकसभा में द हिन्दू अखबार में खबर छपने के बाद सरकार की ओर से अपनी सफाई पेश की थी. उन्होंने द हिंदू की खबर को सिरे से खारिज करते हुए लोकसभा में रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि विपक्ष बहुराष्ट्रीय कंपनियों और निहित स्वार्थ से जुड़े तत्वों के हाथों में खेल रहा है और उसका प्रयास गड़े मुर्दे उखाड़ने जैसा है. उन्होंने पीएमओ के हस्तक्षेप के आरोपों को खारिज करते हुए सीतारमण ने कहा कि पीएमओ की ओर से विषयों के बारे में समय-समय पर जानकारी लेना हस्तक्षेप नहीं कहा जा सकता है.
आपको बता दें कि अंग्रेजी अखबार द हिंदू ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि राफ़ेल सौदे को लेकर फ्रांस से प्रधानमंत्री कार्यालय सीधे बातचीत कर रहा था जिस पर रक्षा मंत्रालय ने आपत्ति जताई थी. खबर के मुताबिक फ्रांस से जब रक्षा मंत्रालय की सौदे को लेकर बातचीत चल रही थी उसी दौरान प्रधानमंत्री कार्यालय भी अपनी ओर से फ्रांसीसी पक्ष से ‘समानांतर बातचीत’ में लगा था. अखबार ने रक्षा मंत्रालय द्वारा 24 नवंबर 2015 को लिखे एक नोट को छापा था. जिसमें कहा गया था कि प्रधानमंत्री कार्यालय के दखल की वजह से सौदे को लेकर बातचीत कर रहे भारतीय दल और रक्षा मंत्रालय की पोजिशन कमजोर हुई. रक्षा मंत्रालय ने अपने नोट में तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर का ध्यान खींचते हुए कहा था कि हम PMO को ये सलाह दे सकते हैं कि कोई भी अधिकारी जो बातचीत कर रहे भारतीय टीम का हिस्सा नहीं है उसे समानांतर बातचीत नहीं करने को कहा जाए.