सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने तलाक के एक मामले पर आदेश दिया कि पति विवाह का बंधन खत्म करने अपनी पत्नी और बच्चों को 5 करोड़ रुपए का गुजारा भत्ता फाइनल सेटलमेंट (Final Settlement) के तौर पर पत्नी को दे. कोर्ट ने आदेश के दौरान यह साफ कर दिया कि ‘गुजारा-भत्ता देने का मकसद यह नहीं है कि पति को सजा दी जाए’ सुप्रीम कोर्ट ने पति से कहा कि वो अपने बच्चे के भरण-पोषण और देखभाल के पितृत्व कर्तव्यों को भी ध्यान में रखे.  हम यह चाहते हैं कि पत्नी और बच्चे सम्मानित तरीके से जीवन गुजार सकें. पिता अपने वयस्क बेटे के भरण-पोषण और वित्तीय सुरक्षा के लिए 1 करोड़ रुपए का प्रावधान करें.

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जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस प्रसन्ना बी की बेंच ने कहा कि सेटलमेंट में से एक करोड़ की रकम उनके बेटे के गुजारे-भत्ते और उसकी आर्थिक सुरक्षा के लिए तय की जाए. दरअसल, मामला प्रवीण कुमार जैन और उनकी पत्नी अंजू जैन के तलाक का है. सुप्रीम कोर्ट ने 10 दिसंबर को आदेश दिया है.

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इस केस में प्रवीण कुमार जैन और अंजू जैन विवाह के बाद 6 साल तक साथ रहे थे. इसके बाद करीब 20 साल से दोनों अलग-अलग रह रहे हैं. प्रवीण ने आरोप लगाया कि वह उनके परिवार के साथ ठीक व्यवहार नहीं करती पेश आती थी. दूसरी ओर अंजू ने आरोप लगाया था कि प्रवीण का व्यवहार उसके प्रति अच्छा नहीं था. पति-पत्नी लंबे समय से अलग रह रहे थे. उनके पास वैवाहिक कर्तव्यों को निभाने का कोई अवसर नहीं था. इसे देखते हुए कोर्ट ने माना कि विवाह का अर्थ, लगाव और नाता पूरी तरह से टूट चुका है. इसके बाद कोर्ट ने तलाक को इन शर्तों पर मंजूरी दे दी.

SC ने इन 8 पर विचार कर सुनाया फैसला

  1. पति-पत्नी की सामाजिक और आर्थिक हैसियत
  2. पत्नी-बच्चों की बुनियादी जरूरतें
  3. दोनों पक्षों की योग्यता और रोजगार
  4. इनकम और प्रॉपर्टी
  5. पत्नी का ससुराल में रहते हुए स्टैंडर्ड ऑफ लाइफ
  6. अगर परिवार की देखभाल के लिए नौकरी छोड़ी है
  7. नौकरी न करने वाली पत्नी के लिए कानूनी लड़ाई की उचित रकम
  8. पति की आर्थिक हैसियत, उसकी कमाई और गुजारे-भत्ते की जिम्मेदारियां

कोर्ट ने फैसला सुनाते वक्त कहा कि पत्नी बेरोजगार है. घरेलु कामकाज के अलावा कुछ व्यवसाय नहीं करती. पति फॉरेन बैंक में मैनेजीरियल पोस्ट पर है जो हर महीना करीब 10 से 12 लाख रुपए कमाता है. यह उचित है कि हम यह शादी खत्म करते वक्त 5 करोड़ की रकम पर्मानेंट सेटलमेंट के तौर पर तय करते हैं.

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