सुधीर दंडोतिया, भोपाल। ‘भैया आपने मुरैना का गजक नहीं खाया तो फिर कुछ नहीं खाया।’ चंबल अंचल में आपको यही शब्द सुनने मिलेंगे क्योंकि मध्य प्रदेश के मुरैना की पहचान ही गजक से है। मुरैना की गजक की अंतरराष्ट्रीय मेले में धाक रही और इसे द्वितीय पुरस्कार दिया गया। नई दिल्ली में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय मेला में जोरा के आयुष महिला समूह को यह पुरस्कार दिया गया है। महिलाओं ने 15 दिन में डेढ़ लाख रुपए की गजक बेचकर 75 हजार रुपए का मुनाफा कमाया है।

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400 साल पुराना है इतिहास 

मुरैना में गजक का इतिहास 400 साल पुराना है गजक सर्दियों के दिनों में सबसे ज्यादा खाई जाने वाली मिठाई है। यह रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है। गजक का अनुमानित बिजनेस 200 करोड़ रुपये से ज्यादा का है। मुरैना की गजक अमेरिका, इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया, दुबई आदि कई देशों में भेजी जाती है।

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क्या है इसकी खासियत?

गजक सर्दियों के दिनों में सबसे ज्यादा खाई जाने वाली मिठाई है। इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। गजक का अनुमानित बिजनेस 200 करोड़ रुपए से ज्यादा का है। मुरैना की गजक अमेरिका, इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया, दुबई आदि कई देशों में भेजी जाती है। 

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कैसे आता है इतना खस्तापन?

चंबल नदी का पानी मीठा है और उसी तासीर के कारण गजक में खस्तापन रहता है। इसके अलावा अच्छी गजक के लिए अच्छी क्वालिटी का तिल जरूरी है। गजक में जितना ज्यादा तिल होगा उतना ज्यादा खस्तापन आएगा।

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