लोकसभा में संविधान पर बहस के पहले दिन सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक देखने को मिली थी. केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने लोकसभा में भारत के संविधान की 75वीं वर्षगांठ पर चर्चा करते हुए कहा, मुझे गर्व है कि जब प्रधानमंत्री मोदी का कार्यकाल शुरू हुआ तो उन्होंने संविधान की इसी भावना का पालन करते हुए अपनी सरकार का मंत्र इस देश के सामने रखा, और वह मंत्र है सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास.
किरेन रिजिजू ने कांग्रेस को लक्षित करते हुए कहा, ‘संविधान बदलने की प्रक्रिया भी संवैधानिक है. कांग्रेस यूपीए की सरकार के दौरान 75 बार संविधान संशोधन हुए हैं, बीजेपी एनडीए की सरकार के दौरान 25 बार संविधान संशोधन हुए हैं.’ अपने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को बदलने के लिए, अपने शाहबानो को मिलने वाले अधिकार को रोकने के लिए, अपने लोगों को आरक्षण देने के लिए, अपने ओबीसी हक में संविधान को संशोधन करने के लिए, आपने संविधान की मूल भावना को अपने बदल डाला और संविधान के प्रिंबल को अपने बदल डाला.
किरेन रिजिजू ने सदन में बोलते समय मणिपुर का भी मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कि इस पर अलग से चर्चा करेंगे, लेकिन कांग्रेस सरकार के दौरान पूर्वोत्तर भारत में दुनिया का सबसे बड़ा मिलिटेंट संगठन था. हमारे प्रधानमंत्री और उनकी सरकार के मंत्री भी पूर्वोत्तर भारत में कभी नहीं गए थे.
किरेन रिजिजू की टिप्पणी के खिलाफ विपक्ष का विरोध प्रदर्शन
विपक्षी दल ने किरेन रिजिजूकी उस टिप्पणी पर आपत्ति जताई जिसमें उन्होंने भाजपा को एक “राष्ट्रवादी” पार्टी बताया था. विरोधियों के विरोध के बीच, सांसद रिजिजूने कहा कि वह विरोधियों की “उम्र” का सम्मान करते हैं और इसलिए उनकी टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया नहीं दे रहे हैं. इस दौरान ओम बिरला, स्पीकर, ने कहा कि किरेन रिजिजू ने जो कुछ भी कहा, वह ‘असंसदीय’ नहीं था और उनकी कोई भी टिप्पणी नहीं हटाई जाएगी.
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देश की वैश्विक छवि पर असर पड़ता है
संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि भारत के बारे में बोलते समय लोगों को सावधान रहना चाहिए क्योंकि इससे देश की विश्वव्यापी छवि प्रभावित होती है. उन्होंने यह भी कहा कि भारत में अल्पसंख्यकों के साथ कोई भेदभाव नहीं होता. उन्होंने फ्रांस, स्पेन और इंडोनेशिया जैसे देशों में मुसलमानों के साथ भेदभाव को उजागर करने वाली एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि भारत में अल्पसंख्यकों को बेहतर व्यवहार किया जाता है, जो पड़ोसी देशों से अल्पसंख्यकों को आकर्षित करता है.
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