योगेश पाराशर, मुरैना। केंद्र सरकार भारत के विश्वगुरु होने का दावा कर उपलब्धियां गिनवाते थक नहीं रही है। लेकिन इस बीच मध्य प्रदेश के मुरैना पहुंचे ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने ऐसा बयान दिया, जिससे पूरे देश भर में राजनीतिक सरगर्मी बढ़नी तय है। उन्होंने कहा, ‘भारत विश्वगुरु नहीं बल्कि विश्व का चेला बनकर रह गया है। जब से देश में हिंदू की बात होने लगी है, तब से गौमांस का निर्यात बढ़ गया है। बूचड़खाने भी आधुनिक हो गए हैं।’ शंकराचार्य ने और किन मुद्दों पर अपना बयान दिया, आइए जानते हैं… 

शंकराचार्य ने भारत के विश्वगुरु की जगह विश्व चेला बनने की कही बात

दरअसल, शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद उत्तराखंड में शीतकालीन चारधाम यात्रा जा रहे हैं। उससे पहले वे अल्प प्रवास पर मुरैना पहुंचे, जहां गोरक्षा, हिदू राष्ट्र, भारत के विश्वगुरू बनने जैसे सवालों पर बेबाकी से बयान दिया। उन्होंने कहा, “विश्व गुरू बनने के लिए पहले गुरुत्व अपने अंदर आना चाहिए। मैं गुरू हूं, पहले मुझे तो यह अभिमान आए। आज भारत को यह अभिमान ही नहीं हैं। आज भारत अपनी चीजों पर गर्व नहीं करता है। असल में आज तो भारत जगत चेला है। यहां कुछ भी बनाना होता है तुरंत एक डेलिगेशन विदेश भेजा जाता है और कहा जाता है, जाओ वहां देखकर आओ और उसकी तरह यहां बनाओ।”

कभी काशी को देखकर बना था क्योटो, अब क्योटो को देख संवर रही काशी

शंकराचार्य ने आगे कहा, ‘आज हम हर चीज के लिए परमुखावेक्षी हो गए हैं। हम अभी काशी में थे। वहां प्रधानमंत्री ने काशी के विकास के लिए एक दल को क्योटो भेजा और कहा, काशी को क्योटो जैसा बनाना है। अरे काशी को काशी जैसा क्यों नहीं बनाना? किसी समय क्योटो काशी को देखकर बना था। अब क्योटो को देखकर काशी संवर रही है। इसका मतलब यह है कि जब क्योटो काशी जैसा बनना चाहता था, तब हम विश्वगुरू थे। अब हम क्योटो जैसा बनना चाहते हैं, मतलब भारत क्योटो का चेला हैं। हम जगतगुरू नहीं, जगत चेला बन चुके हैं। भारतीय संस्कृति, इतिहास और भारत के भूगोल काे पीछे छोड़ चुके हैं। देश के नेताओं की नजरों में भारत में कुछ अच्छा है ही नहीं। सब कुछ विदेश में अच्छा है, इसलिए दूसरे जैसा बना रहे हैं।’

‘हिंदू राष्ट्र बना तो धर्माचार्य बंदी बनाए जाएंगे, शास्त्र ठोकर खाएगा’

शंकराचार्य ने भारत के हिंदू राष्ट्र बनने को लेकर भी बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा, ‘भारत हिंदू राष्ट्र बन भी जाए तो वहां हिंदू धर्म नहीं होगा। वह गोलबंदी का राष्ट्र होगा। लोग हिंदू-हिंदू चिल्लाएंगे। शास्त्र ठोकर खाएगा, धर्माचार्य बंदी बनाए जाएंगे और धर्म के नाम पर सिर्फ मनमानी चलेगी।’

शंकराचार्य ने 10 सालों में गोमांस निर्यात बढ़ने की कही बात

उन्होंने आगे कहा, ‘बीते 10 सालों में ही देश में हिंदू-हिंदू की बात चली है। गजब की बात यह है कि जब से हिंदू धर्म की बातें हो रही है, उन्हीं 10 सालों में गोमांस के निर्यात में बढ़ोतरी हो गई। तभी से बूचड़खानों काे आधुनिक बना दिया गया है। तभी से गोहत्या बढ़ गई है। कुल मिलाकर यह है कि जब से हिंदू धर्म पीछे छोड़कर हिंदू राजनीति की बातें हाेने लगी, तब से यह हालत हो गई है। 

राजनीति में धर्म की बात होने से बांग्लादेश जैसे होते हैं हालात

उन्होंने अपने बयान में बांग्लादेश में प्रताड़ना झेल रहे हिंदुओं को लेकर भी बड़ी बात कही है। उन्होंने कहा, ‘राजनीति में धर्म की बातें होती है, तब बांग्लादेश जैसे हालात होते हैं। आज वहां हिंदू सताए जा रहे हैं, जबकि हिंदू कहीं भी रहे, किसी को नुकसान नहीं पहुंचाते। राजनीति में हिंदू धर्म का समावेश होगा तभी देश का कल्याण होगा। जनता को यह करना चाहिए, कि धर्म की बात धर्मगुरूओं से सुनें और राजनीति की बात राजनीतिज्ञों से सुनें।’

देश का हर विद्वान तीसरे विश्वयुद्ध की आहट देख रहा है

शंकराचार्य ने तीसरे विश्वयुद्ध को लेकर बड़ा बयान दिया। उन्हने कहा, ‘आज दुनिया के हर देश को यह गुमान हो गया है कि हमारा कोई कुछ नहीं कर सकता। जब सबके मन में यह गुमान आ जाता है, ऐसे समय में सब मनमानी करने लगते हैं। फिर जो लोग पहले से चौधरी बने बैठे हैं, उन्हें दिक्कत होती है। वह गोलबंदी करने लगते हैं। फिर दो गोल बन जाते हैं। इनमें एक आक्रमणकारी हो जाता है और दूसरा आक्रमण झेलने वाला। दो विश्वयुद्ध हो चुके हैं, तीसरे विश्वयुद्ध की आहट देश का हर विद्वान देख रहा है।’

‘धर्म के क्षेत्र में नेताओं ने जमाया कब्जा’

शंकराचार्य ने कहा, ‘देश के नेता खुद ही धर्मगुरू बन बैठे हैं। उनसे बड़ा देश में कोई धर्मगुरू नहीं है, ऐसा नेताओं ने मान लिया है। इसीलिए धर्म के क्षेत्र में पूरी तरह अपना कब्जा बनाकर बैठे रहना चाहते हैं। धार्मिक स्थानों और धर्माचार्याें को अपने कब्जे में ले रखा है। उनकी कोशिश है कि एक भी छूटे न, सब हमारे पंजे में आ जाए। इसका परिणाम यह होता है, जो ड्राइविंग नहीं जानता उसे गाड़ी दे देंगे, तो टक्कर होगी। उसमें बैठे लोग भी चोटिल होंगे। धार्मिक व्यक्ति धर्म की बात करेगा तो उसका मतलब होगा कि धार्मिक फलीभूतता अपने ह्दय में ले आए हैं। लेकिन जब राजनीतिक व्यक्ति धर्म की बात करेगा तो  किसी धर्म के खिलाफ, किसी दूसरे धर्मवालों को खड़ा कर ध्रुवीकरण करना चाहेगा। जब से राजनीतिक लोग धर्म की बात करने लगे हैं, तब से धर्म ध्रुवीकरण का जरिया बन गया है।

‘गोरक्षा पीठ के पीठाधीश्वर की सत्ता में बढ़ी गोहत्या..’.

उन्होंने बड़ा आरोप लगाया कि गोरक्ष पीठ के पीठाधीश्वरकी सत्ता में गोहत्या बढ़ी है। उन्होंने कहा, ‘जो गोरक्ष पीठ के पीठाधीश्वर हैं। वहीं, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं। गोरक्ष पीठ वह है जो गायों की रक्षा की दीक्षा देती है। उसी उत्तर प्रदेश में गोहत्या बढ़ गई है। अभी कल की ही बात है कि वृंदावन-मथुरा मार्ग पर धौरेरा जंगल में अनेक गायों के शव पाए गए। सूचना मिलते ही दो-चार हजार लोग इकट्ठा हो गए। लोग सड़क पर आ गए और कहा कि यह किसने किया, उसका पता कराे। जैसे ही लोग खड़े हुए वहां बड़े अधिकारी आ गए, उन्होंने लोगों की बात सुनी ही नहीं, डंडे चलाए, जिसमें किसी का सिर फूटा, किसी का हाथ टूटा, कई को पकड़कर थाने बैठा दिया गया।’

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