हल्द्वानी. पुरुष उत्पीड़न का मुद्दा गंभीर बना हुआ है. महिला सेल के आंकड़ों की बात की जाए तो नवंबर 2024 तक कुमाऊं के छह जिलों में 3078 शिकायतें दर्ज हुई. इनमें 3018 मामलों का निस्तारण हो चुका है. लेकिन 60 शिकायतें अब भी लंबित हैं. आंकड़े यह भी बताते है कि नैनीताल में सबसे ज्यादा 1411 शिकायतें दर्ज हुई. इनमें से 1393 मामलों का निस्तारण हो चुका है.

विशेषज्ञों की मुताबिक, पुरुष उत्पीड़न के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. पुरुष अक्सर अपने उत्पीड़न की बात खुलकर कहने में झिझकते हैं. समाज में बनी इस धारणा के कारण कि महिलाएं ही पीड़ित होती हैं, पुरुषों की शिकायतों को गंभीरता से नहीं लिया जाता. वरिष्ठ मनोविज्ञानी डॉ. युवराज पंत का कहना है कि महिलाओं की प्रमुख शिकायतें अक्सर पुरुषों के नशे में हिंसक होने, विवाहेत्तर संबंध रखने, या परिवार की उपेक्षा करने से जुड़ी होती हैं. इन पर कार्रवाई होती है, लेकिन पुरुषों की ऐसी शिकायतों को उतनी तवज्जो नहीं मिलती.

इसे भी पढ़ें- लैंडस्लाइड की घटना को लेकर सरकार गंभीर, दिए वैज्ञानिक सर्वेक्षण के आदेश, मिट्टी और चट्टानों की होगी जांच

गौरतलब है कि समाज में महिलाओं के अधिकारों और उनकी सुरक्षा के लिए कई सशक्त कानून बनाए गए हैं. इनसे महिलाओं के प्रति होने वाले अपराधों पर लगाम लगाई जा रही है, लेकिन दूसरी तरफ पुरुषों के उत्पीड़न का मुद्दा अब भी गंभीर अनदेखी का शिकार है.पुरुष उत्पीड़न का सीधा असर उनके मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है. कई बार यह हताशा उन्हें आत्महत्या जैसे कदम उठाने के लिए मजबूर कर देती है. बेंगलुरु के अतुल सुभाष का मामला इसका ताजा उदाहरण है.